“पापा… आपको पता है ना कि परसों क्रिसमस है।”
पापा ने मुस्कुराते हुए आठ साल के हैरी की तरफ़ देखा जो अपनी भूरी आँखें उनके चेहरें की ओर गड़ाए बैठा था। उसके गोरे चेहरे पर घुँघराले भूरे बाल धूप में चमकने के कारण सुनहरे लग रहे थे।
उन्होंने उसे प्यार से उठाकर गोदी में बैठा लिया।
हैरी लड़ियाते हुए बोला – “इस साल क्रिसमस पर मुझे सोने की अलमारी चाहिए।”
“सोने की अलमारी!” पापा का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया।
“बेटा, ऐसी तो कोई अलमारी होती ही नहीं है।” पापा ने प्यार से उसे समझाते हुए कहा।
“क्यों नहीं होती है? बिलकुल होती है मैंने अभी-अभी एक किताब में पढ़ा है।”
“अगर ऐसी बात है तो जरा मुझे भी वो किताब दिखाना।”
“अभी लाया” कहते हुए हैरी उनकी गोद से कूदकर अपने कमरें की ओर भागा।
थोड़ी ही देर बाद हाँफ़ता हुआ हैरी उनके सामने एक कहानियों की किताब लिए खड़ा था।
“पर बेटा ये तो जादुई किस्से कहानियों की किताब है।”
“हाँ… पापा, इसमें एक कहानी है, जिसमें राजा राजकुमार को क्रिसमस पर सोने की अलमारी लाकर देता है।”
“पर बेटा वो तो राजकुमार है ना।”
“पर आप और मम्मी तो कहते हो कि मैं भी आपका राजकुमार हूँ” हैरी उनकी तरफ़ गौर से देखते हुए कहा।
पापा सकपका गए और उन्होंने प्यार से हेरी को अपनी गोदी में बैठा लिया।
वो समझ गए कि अब हैरी को समझाने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने सोचा कि थोड़ी ही देर बाद वो अपने आप ही सोने की अलमारी वाली बात भूल जाएगा।
पापा बोले – “चलो हैरी, हम दोनों बाज़ार से तुम्हारे लिए क्रिसमस ट्री और उसको सजाने वाला सारा सामान लेकर आते है।”
हैरी ये सुनते ही खुश हो गया और झटपट नाश्ता खत्म करके पापा की ऊँगली पकड़ते हुए बोला – “अब मैं बाज़ार में नहीं खोउंगा ना।”
“बिलकुल नहीं” कहते हुए पापा ने उसे प्यार से देखा और बाजार की ओर चल दिए।
रास्ते भर हैरी कभी ये ले दो तो कभी वो ले दो करता रहा। पापा उसकी हर फ़रमाइश पूरी करते जा रहे थे ताकि वो अपनी पसंद का ढेर सारा सामान खरीदने पर सोने की अलमारी वाली बात भूल जाए।
क्रिसमस ट्री, लाल कैप, सांता का मुखौटा, चमकीले रंगबिरंगे मोती, बड़ा सा जगमगाता सितारा और बहुत सारी नन्हीं घंटियाँ लेकर वे दोनों घर आये।”
“मम्मी… कहाँ हो तुम? देखो हम कितना सारा सामान लाए।” हैरी ने दरवाज़े के बाहर से चिल्लाते हुए कहा।
मम्मी हैरी की आवाज़ सुनकर बाहर आई और उसे खुश देखकर हँस पड़ी।
बहुत देर तक वो मम्मी को सारा सामान दिखाता रहा, फ़िर अचानक उसे जैसे कुछ याद आया और वो बोला – “पापा, अब बस सिर्फ़ एक ही चीज़ बाकी रह गई है।”
“पूरा बाज़ार तो उठा लाए हो, अभी भी कुछ बाकी रह गया है क्या?” मम्मी ने सामान समेटते हुए कहा “हाँ… तुमने जो भी कहा हम सब तो ले आए है… पापा ने सामान की तरफ़ सरसरी निगाह डालते हुए पूछा।
“सोने की अलमारी पापा… आप इतनी जल्दी भूल गए?”
पापा का चेहरा उतर गया। उन्होंने मम्मी की तरफ़ देखा जो आश्चर्य से उनका मुँह देख रही थी।
वो गुस्सा होकर हैरी को डाँटने ही जा रही थी कि पापा ने उन्हें रोक दिया। वो क्रिसमस के मौके पर हैरी को बिलकुल उदास नहीं देखना चाहते थे।
“हम कल बाज़ार में तुम्हारे लिए सुनहरी अलमारी ढूँढने जाएँगे” पापा ने हँसते हुए कहा।
“आप दुनियाँ के सबसे अच्छे पापा हो।” कहते हुए हैरी उनके ऊपर झूल गया।
हैरी के कमरे से बाहर जाने के बाद मम्मी बोली – “आपने उससे झूठ क्यों कहा, सोने की अलमारी के बारे में?”
मैंने झूठ नहीं कहा, मैं कल सच में वैसी ही अलमारी लाऊँगा” पापा ने गंभीर स्वर में जवाब दिया।
“तो क्या आप सोने की अलमारी खरीदने का सोच रहे है। आप वो किताब वाले राजा नहीं हैं और ना ही वो राजकुमार।”
“मैं राजा नहीं हूँ पर हैरी तो मेरा राजकुमार है ना” पापा मुस्कुराते हुए बोले।
“पर आप कहाँ से लाओगे नई सुनहरी अलमारी… हमारे पास कहाँ इतने पैसे है। आज आपने सारे पैसे हैरी के ऊपर खर्च कर दिए” मम्मी दुखी होते हुए बोली।
पापा कुछ नहीं बोले और सोने चले गए।
दूसरे दिन पापा की नींद बच्चों की चीख पुकार और ठहाकों की आवाज़ से खुली।
उन्होंने बाहर आकर देखा तो हैरी अपने दोस्तों के साथ मिलकर क्रिसमस ट्री सजा रहा था।
रुनझुन करती नन्हीं घंटियां, रंगबिरंगे चमकीले कागज़ों में बंद उपहार और छोटे-छोटे बॉल पूरे कमरे में बिखरे पड़े थे।
पापा कुछ कहते इससे पहले ही हैरी आकर पापा के गले लग गया।
पापा ने हैरी को प्यार करते हुए कहा – “अपने सारे दोस्तों को केक खिलाओं, जो हम कल लेकर आए है”। मम्मी तब तक केक और बिस्किट की प्लेट्स लेकर आ चुकी थी।
सभी दोस्त केक देखकर खुश हो गए और आपस में बातें करने लगे।
तभी पापा बोले – “हैरी, मैं बाज़ार होकर आता हूँ।”
“क्यों पापा, हम तो क्रिसमस की सारी चीज़े ले आए है।” हैरी ने पापा का हाथ पकड़ते हुए कहा।
“तुम्हारे लिए सुनहरी अलमारी ढूँढने जा रहा हूँ, जैसे उस राजा ने राजकुमार को दी थी” पापा ने मुस्कुराते हुए कहा।
“नहीं पापा,राजा तो बहुत कंजूस था उसने सिर्फ़ एक अलमारी ही दी थी। आप मेरे लिए पूरा कमरा भरकर इतनी सारी चीज़े लाए है।” हैरी बड़ा सा सितारा उठता हुआ बोला।
पापा ने उसे अपने पास बुलाया और उसकी आँखों में देखा तो हैरी ने नज़रें झुका ली।
पापा की आँखें भर आई और उन्होंने उसे कस कर गले लगा लिया।
बिना हैरी के कहे भी वो समझ गए कि रात को हैरी ने उनकी और मम्मी के बीच की बातें सुन ली है।
हैरी की आँखों में भी आँसूं थे।
तभी हैरी का दोस्त जॉन आकर बोला – “जल्दो करो हैरी, अभी तो हमारा आधा क्रिसमस ट्री ही सजा है।”
पापा ने हँसते हुए कहा – “अब तो मैं भी तुम लोगो के साथ इसे खूब सुंदर सजाऊँगा।”
मम्मी ये सुनकर तुरंत बोली – “और मुझे क्यों छोड़ दिया?”
मम्मी के बात सुनकर सब जोरों से हँस पड़े और उन सबने मिलकर बेहद खूबसरती से क्रिसमस ट्री सजाया।
उसके दोस्तों को मम्मी ने टॉफी और चॉकलेट भी दी, जिससे वो सब बहुत खुश होकर हँसते खेलते अपने घर चले गए।”
शाम को हँसी मजाक करते हुए पापा, मम्मी और हैरी जब गिरिजाघर जा रहे थे, तो रास्ते में उन्हें सान्ता मिला जो ढेर सारे उपहार, टॉफी और चॉकलेट अपने झोले में लिए खड़ा था। उपहारों के लिए उसके आस-पास बहुत सारे बच्चे उसे घेरे खड़े हुए थे। हैरी भी सांता को देखकर रुक गया।
सांता ने अपनी सफ़ेद दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए हैरी से पूछा – “तुम्हें क्रिसमस पर क्या गिफ़्ट चाहिए?”
ये सुनकर हैरी और पापा ने एक दूसरे की ओर देखा और ठहाका मार कर जोरो से हँस दिए।
