उसने आँसूं भरी आखों से जब मास्टरजी कि तरफ देखा उन्होंने उसे गले से लगा लिया ओर रूंधे स्वर में बोले – “तुम आज से ही स्कूल आओगे।”
यह सुनकर भीकू और उसके पिताजी की आँखे ख़ुशी से छलछला उठी। दो महीने बाद 26 जनवरी का दिन था। बच्चो ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम उस दिन प्रस्तुत करने के लिए तैयार करने शुरू कर दिए थे। आखिर सभी का इंतज़ार ख़त्म हुआ और 26 जनवरी का दिन आ पहुंचा।
सबसे ज्यादा खुश भीकू था क्योंकि आज उसे सबके सामने “वीरता पुरस्कार” कलेक्टर साहब के हाथों मिलना था क्योंकि उसने अपनी जान पर खेलकर मास्टरजी की जान बचाई थी। कलेक्टर साहब ने जब चांदी का चमचमाता हुआ मैडल भीकू के गले में पहनाया तो सभी गावँ वालों सहित मास्टरजी को भी उसके ऊपर गर्व हो आया। कलेक्टर साहब ने मुस्कुराते हुए कहा – “भीकू, तुम यहाँ स्टेज पर आकर क्या कुछ कहना चाहते हो?”
यह सुनकर भीकू ने मास्टरजी की ओर देखा और उनकी सहमती पाकर स्टेज पर जा पहुंचा और बोला – “आज 26 जनवरी का दिन हैं। आज ही के दिन सन 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ और भारत वास्तव में एक संप्रभु देश बना। बिना किसी जात-पात एवं ऊँच – नीच का विचार मन में लाये हुए असंख्य लोगों ने देश की आज़ादी के लिए बलिदान दिया एवं भारत माता को अंग्रेजो के चंगुल से आजाद करवाया। जब हमारे देश में रहने वाले सभी भारतीयों ने जातिवाद से ऊपर उठकर अपने आपको केवल हिन्दुस्तानी समझा तो हमें आज़ादी मिली और आज हम दुनिया के सबसे बड़े जनतंत्र का हिस्सा है।”
जयहिंद
भीकू की बात ख़त्म होते ही पूरा हाल तालियों की गडगडाहट से गूँज उठा और मास्टरजी ने दौड़कर उसे गले लगाते हुए कहा – “आज भीकू ने मेरी आँखें खोल दी है। इसलिए आज से यह स्कूल गावँ के सभी बच्चों का है और इसमें सभी बच्चे पढ़ने आया करेंगे। यह सुनते ही सभी बच्चों के चेहरों पर मुस्कान तैर गई और वे ख़ुशी से चिल्लाये – “मास्टरजी की जय”
मास्टरजी हँसते हुए बोले “बच्चों बोलो – भारत माता की जय”। सभी एक स्वर में चिल्लाएँ – “भारत माता की जय” फिर सभी मन में अपनी मातृभूमि को नमन करते हुए राष्ट्रगान के लिए खड़े हो गए। और फिर उस गावँ में कभी कोई बच्चा निरक्षर नहीं रहा।