Tag Archives: Culture and Traditions Poems for Children

Easter Comes But Once a Year: Easter Poetry

Easter Comes But Once a Year: Easter Poetry

Easter Comes But Once a Year: Johann Sebastian Bach was a German composer and musician of the Baroque period. He is known for instrumental compositions such as the Brandenburg Concertos and the Goldberg Variations, and for vocal music such as the St Matthew Passion and the Mass in B minor. Since the 19th-century Bach Revival, he has been generally regarded …

Read More »

Easter Poem: Easter Special English Poetry

Easter: Easter Sunday Special English Poem

Easter Poem: Katharine Tynan (23 January 1859 – 2 April 1931) was an Irish writer, known mainly for her novels and poetry. After her marriage in 1893 to the Trinity College scholar, writer and barrister Henry Albert Hinkson (1865–1919) she usually wrote under the name Katharine Tynan Hinkson, or variations thereof. Of their three children, Pamela Hinkson (1900–1982) was also …

Read More »

An Easter Blessing: Short Poem On Easter

Easter Comes But Once a Year: Easter Poetry

An Easter Blessing: Johann Sebastian Bach (31 March 1685 – 28 July 1750) was a German composer and musician of the late Baroque period. He is known for his orchestral music such as the Brandenburg Concertos; instrumental compositions such as the Cello Suites; keyboard works such as the Goldberg Variations and The Well-Tempered Clavier; organ works such as the Schubler …

Read More »

शेर अली आफ़रीदी: क्रन्तिकारी देशभक्त मुसलमान

शेर अली आफ़रीदी: क्रन्तिकारी देशभक्त मुसलमान

शेर अली आफ़रीदी (शेर अली आफ़्रीदी), जिन्हें शेरे अली भी कहा जाता है, 8 फरवरी 1872 को भारत के Viceroy Lord Mayo की हत्या के लिए जाने जाते हैं। वह उस समय अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह पर कैदी थे, जिन्हें हत्या की सजा सुनाई गई थी। 1869 से भारत के Viceroy Lord Mayo के 6वें Sir Richard Southwell Bourke फरवरी …

Read More »

अशफाक उल्ला खां: भारत के अमर शहीद क्रांतिकारी

अशफाक उल्ला खां: भारत के अमर शहीद क्रांतिकारी

अशफाक उल्ला खां: भारत के अमर शहीद क्रांतिकारी – देश में चल रहे आंदोलनों और क्रांतिकारी घटनाओं से प्रभावित अशफाक के मन में भी क्रांतिकारी भाव जागे और उसी समय मैनपुरी षड्यंत्र के मामले में शामिल रामप्रसाद बिस्मिल से हुई और वे भी क्रांति की दुनिया में शामिल हो गए। इसके बाद वे ऐतिहासिक काकोरी कांड में सहभागी रहे और …

Read More »

अहिल्याबाई होल्कर: महेश्वर की राजमाता

अहिल्याबाई होल्कर: महेश्वर की राजमाता

अहिल्याबाई होलकर (31 मई 1725 – 13 अगस्त 1795), मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। उन्होने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया। अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-काशी विश्वनाथ …

Read More »

भारत के त्यौहार Hindi Poem on Indian Festivals

Hindi Poem on Indian Festivals भारत के त्यौहार

भारत के त्यौहार: भारत त्यौहारों की भूमि है। भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही उत्सव और त्यौहारों की परम्परा रही हैं। इसमें विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते है और इस प्रकार यहाँ कई धार्मिक त्यौहार मनाये जाते हैं। उत्सव धर्म का एक अभिन्न अंग हैं। भारत में तीन राष्ट्रीय त्यौहार भी मनाए जाते है। उत्सव के मौसम के …

Read More »

स्वामी विवेकानंद के भाषण पर प्रेरणादायक कविता

स्वामी विवेकानंद के भाषण पर प्रेरणादायक कविता

शिकागो धर्म सम्मेलन, 1893 में दिया गया भाषण स्वामी विवेकानंद पर कविता अमरीकी भाई बहनो कह, शुरू किये जब उद्बोधन। धर्म सभा स्तब्ध हुई थी, सुनकर उनका सम्बोधन॥आया उस प्राचीन देश से, जो संतो की है नगरी। पाया हूँ सम्मान यहाँ जो, भरी हर्ष से मन गगरी॥मेरा है वो धर्म जिसे सब, कहते धर्मो की माता। धरा गगन में होने वाली, हर हलचल …

Read More »

स्वामी विवेकानंद जी की कविता: सागर के वक्ष पर

युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद जयंती पर जानकारी

सागर के वक्ष पर: स्वामी विवेकानंद जी नील आकाश में बहते हैं मेघदल,श्वेत कृष्ण बहुरंग,तारतम्य उनमें तारल्य का दीखता,पीत भानु-मांगता है विदा,जलद रागछटा दिखलाते।बहती है अपने ही मन से समीर,गठन करता प्रभंजन,गढ़ क्षण में ही, दूसरे क्षण में मिटता है,कितने ही तरह के सत्य जो असम्भव हैं –जड़ जीव, वर्ण तथा रूप और भाव बहु।आती वह तुलाराशि जैसी,फिर बाद ही …

Read More »

काली माता: स्वामी विवेकानंद की कविता

काली माता: स्वामी विवेकानंद की कविता

  काली माता: स्वामी विवेकानंद छिप गये तारे गगन के,बादलों पर चढ़े बादल,काँपकर गहरा अंधेरा,गरजते तूफान में, शतलक्ष पागल प्राण छूटेजल्द कारागार से–द्रुमजड़ समेत उखाड़कर, हरबला पथ की साफ़ करके।शोर से आ मिला सागर,शिखर लहरों के पलटतेउठ रहे हैं कृष्ण नभ कास्पर्श करने के लिए द्रुत,किरण जैसे अमंगल कीहर तरफ से खोलती हैमृत्यु-छायाएँ सहस्रों,देहवाली घनी काली।आधिन्याधि बिखेग्ती, ऐनाचती पागल हुलसकरआ, …

Read More »