ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिए: आनंद बक्षी ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिए गाना आये या ना आये गाना चाहिए बेटा बजाओ ताली गाते हैं हम कव्वाली बजने दो एक तारा छोड़ो ज़रा फव्वारा ये बाल्टी उठाओ ढोलक इसे बनाओ बैठे हो क्या ये लेकर ये घर है या है थिएटर पिक्चर नहीं है जाना बाहर नहीं है आना …
Read More »मेरी प्यारी माँ: मातृ दिवस हिंदी बाल-कविता
दिवस, मातृ और दिवस शब्दों से मिलकर बना है जिसमें मातृ का अर्थ है मां और दिवस यानि दिन। इस तरह से मातृ दिवस का मतलब होता है मां का दिन। पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है। मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना …
Read More »माँ तो माँ होती है: मातृ दिवस पर कविता
मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, …
Read More »मेरी माँ: मातृ दिवस पर बाल-कविता
मातृ दिवस मनाने का शुरुआत सर्वप्रथम ग्रीस देश में हुई थी, जहां देवताओं की मां को पूजने का चलन शुरु हुआ था। इसके बाद इसे त्योहार की तरह मनाया जाने लगा। हर मां अपने बच्चों के प्रति जीवन भर समर्पित होती है। मां के त्याग की गहराई को मापना भी संभव नहीं है और ना ही उनके एहसानों को चुका …
Read More »प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ
प्रभुदयाल श्रीवास्तव की प्रसिद्ध बाल-कविताएँ तितली उड़ती, चिड़िया उड़ती कुछ न कुछ करते रहना दादाजी की बड़ी दवात गरमी की छुट्टी का मतलब होगी पेपर लेस पढ़ाई सूरज चाचा पानी बनकर आऊँ नदी बनूँ शीत लहर फिर आई जीत के परचम पर्यावरण बचा लेंगे हम हँसी-हँसी बस, मस्ती-मस्ती खुशियों के मजे कंधे पर नदी बूंदों की चौपाल अपना फर्ज निभाता …
Read More »काका हाथरसी के दोहे
सन १९०६ में हाथरस में जन्मे काका हाथरसी (असली नाम: प्रभुनाथ गर्ग) हिंदी व्यंग्य के मूर्धण्य कवि थे। उनकी शैली की छाप उनकी पीढ़ी के अन्य कवियों पर तो पड़ी ही, आज भी अनेकों लेखक और व्यंग्य कवि काका की रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं। व्यंग्य का मूल उद्देश्य लेकिन मनोरंजन नहीं …
Read More »चांद पर मानव: काका हाथरसी
This poem was written by Kaka Hathrasi, when man had for the first time reached on moon. Big deal! Many thought. चांद पर मानव: काका हाथरसी ठाकुर ठर्रा सिंह से बोले आलमगीर पहुँच गये वो चाँद पर, मार लिया क्या तीर मार लिया क्या तीर, लौट पृथ्वी पर आये किये करोड़ों खर्च, कंकड़ी मिट्टी लाये ‘काका’, इससे लाख गुना अच्छा …
Read More »कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ: काका हाथरसी
Here is an excerpt from a very funny and at a time very popular poem of Kaka Hathrasi. See Kakas advice on how to raise the standard of your life! प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो, बदल रहे अणु, कण-कण देखो। तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो। भाग्य वाद पर अड़े हुए हो। छोड़ो मित्र! पुरानी डफली, जीवन में परिवर्तन लाओ। परंपरा …
Read More »योग पर आधारित हिंदी कविता संग्रह
योग क्या है? संस्कृत धातु ‘युज‘ से निकला है, जिसका मतलब है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन। योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है। हालांकि कई लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं, जहाँ लोग शरीर को मोडते, मरोड़ते, खींचते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं। …
Read More »बिहारी के प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित
महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1603 के लगभग ग्वालियर (Gwalior is a city in the central Indian state of Madhya Pradesh) में हुआ। उनके पिता का नाम केशवराय था व वे माथुर चौबे जाति से संबंध रखते थे। बिहारी का बचपन बुंदेल खंड में बीता और युवावस्था ससुराल मथुरा में व्यतीत की। बिहारी की एकमात्र रचना सतसई (सप्तशती) है। यह मुक्तक …
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