देश की माटी देश का जल हवा देश की देश के फल सरस बनें प्रभु सरस बने देश के घर और देश के घाट देश के वन और देश के बाट सरल बनें प्रभु सरल बनें प्रभु देश के तन और देश के मन देश के घर के भाई-बहन विमल बनें प्रभु विमल बनें ∼ रबीन्द्रनाथ टैगोर अनुवाद – भवानी …
Read More »फिर एक बार: महादेवी वर्मा की देशभक्ति कविता
Here is a poem by the well-known poetess Mahadevi Varma, showing her deep devotion and appreciation of the motherland. मैं कम्पन हूँ तू करुण राग मैं आँसू हूँ तू है विषाद मैं मदिरा तू उसका खुमार मैं छाया तू उसका अधार मेरे भारत मेरे विशाल मुझको कह लेने दो उदार फिर एक बार, बस एक बार कहता है जिसका व्यथित …
Read More »देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ: राम अवतार त्यागी
रामावतार त्यागी का जन्म 17 मार्च 1925 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले की संभल तहसील में हुआ। आप दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर थे। हिन्दी गीत को एक नई ऊँचाई देने वालों में आपका नाम अग्रणीय है। रामधारी सिंह दिनकर सहित बहुत से हिंदी साहित्यकारों ने आपके गीतों की सराहना की थी। ‘नया ख़ून’; ‘मैं दिल्ली हूँ’; ‘आठवाँ स्वर’; ‘गीत …
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