Tag Archives: Devotional Hindi Poems

गौरी पुत्र गजानन देवात महान: मराठी भजन

Lord Ganesha Marathi Bhajan गौरी पुत्र गजानन देवात महान

गौरी पुत्र गजानन देवात महान: माता गौरी श्री गणेश की माँ है और जो लोग दोनों को प्रसन्न कर लेते हैं, वे आसमां छूते हैं। गौरी धन की दाता, रक्षक ओर गणेश, सम्पूर्ण सृष्टि में ऐश देने वाले हैं। इनकी उपासना बुद्धि का बल, तेज बढ़ता है। गौरी पुत्र गजानन देवात महान: मराठी भजन गौरी पुत्र गजानन देवात महान हा …

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श्री गणेशाचे भजन: गणेश भगवान के लोकप्रिय मराठी भजनों का संग्रह

Ganesh Chaturthi Marathi Bhajan श्री गणेशाचे भजन

श्री गणेशाचे भजन: लोकप्रिय मराठी भजन – गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान …

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आरती श्री गणेश जी की: Lord Ganesha Aarti

Lord Ganesha Aarti in Hindi आरती श्री गणेश जी की

आरती श्री गणेश जी की जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ एक दंत दयावन्त, चार भुजा धारी। मस्तक सिन्दूर सोहे, मुसे की सवारी॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा। …

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साधो ये मुर्दों का गाँव: संत कबीर की हिन्दी कविता

Sant Kabir Devotional Composition साधो ये मुरदों का गाँव

साधो ये मुर्दों का गाँव: Here is a famous composition of Saint Kabir Das, a nirguni saint of 15th century, who lived in Varanasi. In the present composition Kabir points out how fleeting the life is. Be it a prophet, a King, divine personalities, common people, doctor and patients, all eventually die. This is indeed a world of dead people. …

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Ram Navami Songs & Devotional Bhajans

Ram Navami Songs: Hindu Culture & Traditions

Ram Navami Songs & Devotional Bhajans – Ram Navami is celebrated with extreme zeal and fervor throughout the India as the birthday of Lord Rama, the incarnation of Lord Vishnu. Shree Rama is regarded as the ideal incarnation of Vishnu in a human form. Lord Rama is like a guiding light for the human beings as various sagas of his …

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जय आद्या शक्ति आरती: अनुराधा पौडवाल

जय आद्या शक्ति आरती: अनुराधा पौडवाल

जय आद्या शक्ति आरती: अनुराधा पौडवाल –  ‘Navratri‘ literally translates to ‘nine nights’ and during these nine nights and ten days, Goddess Durga is worshiped with devout fervor and spirituality. The Sharad Navratri is observed with utmost enthusiasm and it usually falls during the month of September and October. It is the peak of festivity in India and the joy of …

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हनुमान चालीसा: पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति

हनुमान चालीसा: पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति

हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास की एक काव्यात्मक कृति है जिसमें प्रभु राम के महान भक्त हनुमान के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंग बली‍ की भावपूर्ण वंदना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया …

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स्वामी विवेकानंद के भाषण पर प्रेरणादायक कविता

स्वामी विवेकानंद के भाषण पर प्रेरणादायक कविता

शिकागो धर्म सम्मेलन, 1893 में दिया गया भाषण स्वामी विवेकानंद पर कविता अमरीकी भाई बहनो कह, शुरू किये जब उद्बोधन। धर्म सभा स्तब्ध हुई थी, सुनकर उनका सम्बोधन॥आया उस प्राचीन देश से, जो संतो की है नगरी। पाया हूँ सम्मान यहाँ जो, भरी हर्ष से मन गगरी॥मेरा है वो धर्म जिसे सब, कहते धर्मो की माता। धरा गगन में होने वाली, हर हलचल …

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स्वामी विवेकानंद जी की कविता: सागर के वक्ष पर

युवा दिवस: स्वामी विवेकानंद जयंती पर जानकारी

सागर के वक्ष पर: स्वामी विवेकानंद जी नील आकाश में बहते हैं मेघदल,श्वेत कृष्ण बहुरंग,तारतम्य उनमें तारल्य का दीखता,पीत भानु-मांगता है विदा,जलद रागछटा दिखलाते।बहती है अपने ही मन से समीर,गठन करता प्रभंजन,गढ़ क्षण में ही, दूसरे क्षण में मिटता है,कितने ही तरह के सत्य जो असम्भव हैं –जड़ जीव, वर्ण तथा रूप और भाव बहु।आती वह तुलाराशि जैसी,फिर बाद ही …

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काली माता: स्वामी विवेकानंद की कविता

काली माता: स्वामी विवेकानंद की कविता

  काली माता: स्वामी विवेकानंद छिप गये तारे गगन के,बादलों पर चढ़े बादल,काँपकर गहरा अंधेरा,गरजते तूफान में, शतलक्ष पागल प्राण छूटेजल्द कारागार से–द्रुमजड़ समेत उखाड़कर, हरबला पथ की साफ़ करके।शोर से आ मिला सागर,शिखर लहरों के पलटतेउठ रहे हैं कृष्ण नभ कास्पर्श करने के लिए द्रुत,किरण जैसे अमंगल कीहर तरफ से खोलती हैमृत्यु-छायाएँ सहस्रों,देहवाली घनी काली।आधिन्याधि बिखेग्ती, ऐनाचती पागल हुलसकरआ, …

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