Tag Archives: Fortune Poems for Students

माँ: श्रेया गौर – बाल भेदभाव पर हिंदी बाल-कविता

माँ - श्रेया गौर Request from a girl child to her mother

माँ! मैं कुछ कहना चाहती हूँ, माँ! मैं जीना चाहती हूँ। तेरे आँगन की बगिया में चाहती हूँ मैं पलना, पायल की छमछम करती, चाहती मैं भी चलना। तेरी आँखों का तारा बन चाहती झिलमिल करना, तेरी सखी सहेली बन चाहती बातें करना। तेरे आँगन की तुलसी बन, तुलसी सी चाहती मैं हूँ बढ़ना, मान तेरे घर का बन माँ! …

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राणा प्रताप की तलवार: श्याम नारायण पाण्डेय जी का वीर रस काव्य

Maharana Pratap Jayanti

श्याम नारायण पाण्डेय (1907 – 1991) वीर रस के सुविख्यात हिन्दी कवि थे। वह केवल कवि ही नहीं अपितु अपनी ओजस्वी वाणी में वीर रस काव्य के अनन्यतम प्रस्तोता भी थे। आरम्भिक शिक्षा के बाद आप संस्कृत अध्ययन के लिए काशी चले आये। यहीं रहकर काशी विद्यापीठ से आपने हिन्दी में साहित्याचार्य किया। द्रुमगाँव (डुमराँव) में अपने घर पर रहते …

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हल्दीघाटी: झाला का बलिदान – श्याम नारायण पांडेय

Haldighati Poem on Maharana Pratap हल्दीघाटी: झाला का बलिदान

It is said that the Mughals were humbled in victory that day at Haldighati and Rana obtained a glorious defeat. Man Singh narrowly escaped the spear of Rana. Mughals by far out numbers Rana’s men. Tired and wounded Rana was headed for a certain death. At that juncture, a valiant warrior in Rana’s army, named Jhala came to his rescue. …

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दीप मेरे जल अकम्पित (दीप शिखा): महादेवी वर्मा

दीप मेरे जल अकम्पित (दीप शिखा): महादेवी वर्मा

Here is another famous poem by Mahadevi Ji. I love the first lines “clouds are the breath of ocean and lightening the restless thoughts of darkness”. दीप मेरे जल अकम्पित, घुल अचंचल। सिन्धु का उच्छवास घन है, तड़ित, तम का विकल मन है, भीति क्या नभ है व्यथा का आँसुओं से सिक्त अंचल। स्वर-प्रकम्पित कर दिशायें, मीड़, सब भू की …

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अधिकार: महादेवी वर्मा की प्रेरणादायक हिंदी कविता

अधिकार - Adhikar by Mahadevi Verma

Those who strive to tirelessly work for others may perish, but here Mahadevi Verma states that she would rather prefer that suffering than become immortal by the grace of God. Be careful to pause at commas to get the true meanings of lines. वे मुस्काते फूल, नही जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप, नही जिनको भाता ह बुझ …

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हर घट से: चिंतन पर नीरज की प्रेरणादायक हिंदी कविता

Gopal Das Neeraj

This is a famous poem of Niraj. One has to be selective in life, put in sustained efforts and be patient in order to succeed. हर घट से: गोपाल दास नीरज हर घट से अपनी प्यास बुझा मत ओ प्यासे! प्याला बदले तो मधु ही विष बन जाता है! हैं बरन बरन के फूल धूल की बगिया में लेकिन सब ही …

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