This poem was written by Kaka Hathrasi, when man had for the first time reached on moon. Big deal! Many thought. चांद पर मानव: काका हाथरसी ठाकुर ठर्रा सिंह से बोले आलमगीर पहुँच गये वो चाँद पर, मार लिया क्या तीर मार लिया क्या तीर, लौट पृथ्वी पर आये किये करोड़ों खर्च, कंकड़ी मिट्टी लाये ‘काका’, इससे लाख गुना अच्छा …
Read More »कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ: काका हाथरसी
Here is an excerpt from a very funny and at a time very popular poem of Kaka Hathrasi. See Kakas advice on how to raise the standard of your life! प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो, बदल रहे अणु, कण-कण देखो। तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो। भाग्य वाद पर अड़े हुए हो। छोड़ो मित्र! पुरानी डफली, जीवन में परिवर्तन लाओ। परंपरा …
Read More »साल आया है नया: हुल्लड़ मुरादाबादी की हास्य कविता
Hullad Moradabadi (29 May 1942 – 12 July 2014) was an Indian poet, humorist and satirist of Hindi language. He had authored several Hindi books including Itni uchi mat chodo, kya karegi chandni, Ye ander ki bat hai, Triveni and Hullad ka Hullad. He was a poet of Hindi Kavi sammelan. Born in Gujranwala, now in Pakistan as Susheel Kumar …
Read More »मेरा नया बचपन: सुभद्रा कुमारी चौहान की हिंदी कविता
मेरा नया बचपन: सुभद्रा कुमारी चौहान की हिंदी कविता – We all miss our childhood. That carefree time of fun without worries never returns. We are for ever stuck with the grown up world of endless worries, apprehensions and ambitions. Here is a very famous poem of Subhadra Kumari Chauhan about that lovely childhood. सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की सुप्रसिद्ध …
Read More »बचपन: Short Hindi Poetry about Childhood
बचपन जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है। इसमें इतनी चंचलता और मिठास भरी होती है कि हर कोई फिर से इसे जीना चाहता है। बचपन में वह धीरे-धीरे चलना, गिर पड़ना और फिर से उठकर दौड़ लगाना बहुत याद आता है। पिताजी के कंधे पर बैठकर मेला देखने का जो मजा होता था वह अब नहीं आता है। …
Read More »बचपन ही अच्छा था: WhatsApp से ली गयी कविता
हम अक़सर कहते हैं, बचपन ही अच्छा था। कोई बड़ी परेशानी आती है और हमें किसी कारणवश उसका समाधान नहीं मिलता, तो यही भावना आती है, ‘बचपन ही अच्छा था’। अगर मैं अपनी बात करूं, तो मुझे तो कभी-कभी बच्चों से जलन भी होने लगती है। बचपन ही अच्छा था: WhatsApp से ली गयी कविता पूरी स्कूल लाईफ में सुबह˗सुबह …
Read More »छोटा चूहा: पूर्णिमा वर्मन की हास्यप्रध बाल-कविता
चूहा एक स्तनधारी प्राणी है। यह साधारणतः सभी देशों में विशेषकर उष्ण देशों में पाया जाता है। यह कपड़ा, सूटकेश आदि को काटकर बहुत हानि पहुँचाता है। शरीर बालों से आवृत एवं सिर, गर्दन, धड़ तथा पूँछ में विभक्त होता है। ऊपरी एवं निचली ओठ से घिरा रहता है। सिर में एक जोड़ा नेत्र, दो बाह्यकर्ण, धड़ में दो जोड़े पैर …
Read More »गेंद के खेल से जुडी हिंदी बाल-कविता: पूर्णिमा वर्मन
खेल, कई नियमों एवं रिवाजों द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी गतिविधि है। खेल सामान्य अर्थ में उन गतिविधियों को कहा जाता है, जहाँ प्रतियोगी की शारीरिक क्षमता खेल के परिणाम (जीत या हार) का एकमात्र अथवा प्राथमिक निर्धारक होती है, लेकिन यह शब्द दिमागी खेल (कुछ कार्ड खेलों और बोर्ड खेलों का सामान्य नाम, जिनमें भाग्य का तत्व बहुत …
Read More »क्रिसमस: क्रिसमस डे पर हिंदी बाल-कविता
क्रिसमस डे पर कविता: राहुल उपाध्याय छुटि्टयों का मौसम हैत्योहार की तैयारी हैरौशन हैं इमारतेंजैसे जन्नत पधारी है।कड़ाके की ठंड हैऔर बादल भी भारी हैबावजूद इसके लोगों में जोश हैऔर बच्चे मार रहे किलकारी हैंयहाँ तक कि पतझड़ की पत्तियाँ भीलग रही सबको प्यारी हैंदे रहे हैं वो भी दानजो धन के पुजारी हैं।खुश हैं ख़रीदारऔर व्यस्त व्यापारी हैंखुशहाल हैं …
Read More »क्रिसमस आया क्रिसमस आया: छोटे बच्चों की कविता
क्रिसमस आया क्रिसमस आया,बच्चों का है मन ललचाया।सैंटा क्लॉज आएंगे,नए खिलौने लाएंगे।सैंटा क्लॉज ने दी आवाज,एनी आओ, पेनी आओ,जॉनी आओ, जॉन आओ,यीशु की ये याद का दिन है,बच्चों का ये प्यार का दिन है। ∼ वर्षा रस्तोगी
Read More »