Tag Archives: Hindi Poems on Democracy

तनखा दे दो बाबूजी: मजदूर दिवस पर हिंदी कविता

तनखा दे दो बाबूजी - Labour Day Hindi Poem

अबके तनखा दे दो सारी बाबूजी अब के रख लो बात हमारी बाबूजी इक तो मार गरीबी की लाचारी है उस पर टी.बी. की बीमारी बाबूजी भूखे बच्चों का मुरझाया चेहरा देख दिल पर चलती रोज़ कटारी बाबूजी नूण-मिरच मिल जाएँ तो बडभाग हैं हमने देखी ना तरकारी बाबूजी दूधमुंहे बच्चे को रोता छोड़ हुई घरवाली भगवान को प्यारी बाबूजी …

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मीडिया की सच्चाई: सलीम खान – भारतीय मीडिया पर व्यंग

आज कलम का कागज से मैं दंगा करने वाला हूँ, मीडिया की सच्चाई को मै नंगा करने वाला हूँ। मीडिया जिसको लोकतंत्र का चौंथा खंभा होना था, खबरों की पावनता में जिसको गंगा होना था। आज वही दिखता है हमको वैश्या के किरदारों में, बिकने को तैयार खड़ा है गली चौक बाजारों में। दाल में काला होता है तुम काली …

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भई भाषण दो: गोपाल प्रसाद व्यास – भारतीय राजनीति पर व्यंग्य पूर्ण हिंदी कविता

भई भाषण दो: गोपाल प्रसाद व्यास

यदि दर्द पेट में होता हो या नन्हा–मुन्ना रोता हो या आंखों की बीमारी हो अथवा चढ़ रही तिजारी हो तो नहीं डाक्टरों पर जाओ वैद्यों से अरे न टकराओ है सब रोगों की एक दवा भई, भाषण दो, भई, भाषण दो हर गली, सड़क, चौराहे पर भाषण की गंगा बहती है, हर समझदार नर–नारी के कानों में कहती रहती …

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