Tag Archives: Hindi Poems on Ecstasy

Ramdhari Singh Dinkar Old Classic Poem about Himalayas मेरे नगपति! मेरे विशाल!

Ramdhari Singh Dinkar Old Classic Poem about Himalayas मेरे नगपति! मेरे विशाल!

Here is excerpt from an old classic from Dinkar, exhorting Himalaya the great snow-covered king of mountains (Nagpati), that stands tall and eternally on the north of Indian subcontinent, to save India from its decline. The poem seems to have been written while India was under captivity of the English. मेरे नगपति! मेरे विशाल!: रामधारी सिंह दिनकर मेरे नगपति! मेरे विशाल! …

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जनम दिन: नीरज की निराशा से भरी प्रेम कविता

Gopal Das Neeraj

Here is an excerpt from a poem expressing the wishes of a poor poet for his love on her birthday. आज है तेरा जनम दिन, तेरी फुलबगिया में फूल एक और खिल गया है किसी माली का आज की रात तेरी उम्र के कच्चे घर में दीप एक और जलेगा किसी दिवाली का। आज वह दिन है किसी चौक पुरे …

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अज्ञात साथी के नाम: नीरज की निराशा से भरी प्रेम कविता

अज्ञात साथी के नाम - गोपाल दास नीरज

In this age of mobile phones, internet and emails, here is a poem with old-world charm. Old world where a hand written letter could easily light up a day, a life. Here is a charmer from Neeraj. लिखना चाहूँ भी तुझे खत तो बता कैसे लिखूँ ज्ञात मुझको तो तेरा ठौर ठिकाना भी नहीं दिखना चाहूँ भी तुझे तो मैं …

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अब तुम रूठो: चिंतन पर मजबूर करतीं गोपाल दास नीरज की कविता

अब तुम रूठो: गोपाल दास नीरज

For a thinking man, there are moments and phases when he realizes that his apprehensions of non-fulfillment of his desires are the cause of his constant prostration. Here is a rebellion from the well known poet Neeraj. अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। दीप, स्वयं बन गया शलभ अब जलते जलते, मंजिल ही बन गया मुसाफिर …

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राणा प्रताप की तलवार: श्याम नारायण पाण्डेय जी का वीर रस काव्य

Maharana Pratap Jayanti

श्याम नारायण पाण्डेय (1907 – 1991) वीर रस के सुविख्यात हिन्दी कवि थे। वह केवल कवि ही नहीं अपितु अपनी ओजस्वी वाणी में वीर रस काव्य के अनन्यतम प्रस्तोता भी थे। आरम्भिक शिक्षा के बाद आप संस्कृत अध्ययन के लिए काशी चले आये। यहीं रहकर काशी विद्यापीठ से आपने हिन्दी में साहित्याचार्य किया। द्रुमगाँव (डुमराँव) में अपने घर पर रहते …

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हल्दीघाटी: झाला का बलिदान – श्याम नारायण पांडेय

Haldighati Poem on Maharana Pratap हल्दीघाटी: झाला का बलिदान

It is said that the Mughals were humbled in victory that day at Haldighati and Rana obtained a glorious defeat. Man Singh narrowly escaped the spear of Rana. Mughals by far out numbers Rana’s men. Tired and wounded Rana was headed for a certain death. At that juncture, a valiant warrior in Rana’s army, named Jhala came to his rescue. …

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कौन तुम मेरे हृदय में? महादेवी वर्मा की खूबसूरत प्रेम कविता

कौन तुम मेरे हृदय में? - महादेवी वर्मा

Here is excerpt from a famous poem of Mahadevi Verma. Love takes root in the heart and suddenly the world looks so different! कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे लोचनों में घुमड़ घिर झरता अपरिचित? स्वर्ण सपनों का चितेरा नींद के सूने निलय में! कौन तुम मेरे हृदय में? अनुसरण निःश्वास मेरे कर रहे किसका निरंतर? …

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दीप मेरे जल अकम्पित (दीप शिखा): महादेवी वर्मा

दीप मेरे जल अकम्पित (दीप शिखा): महादेवी वर्मा

Here is another famous poem by Mahadevi Ji. I love the first lines “clouds are the breath of ocean and lightening the restless thoughts of darkness”. दीप मेरे जल अकम्पित, घुल अचंचल। सिन्धु का उच्छवास घन है, तड़ित, तम का विकल मन है, भीति क्या नभ है व्यथा का आँसुओं से सिक्त अंचल। स्वर-प्रकम्पित कर दिशायें, मीड़, सब भू की …

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हर घट से: चिंतन पर नीरज की प्रेरणादायक हिंदी कविता

Gopal Das Neeraj

This is a famous poem of Niraj. One has to be selective in life, put in sustained efforts and be patient in order to succeed. हर घट से: गोपाल दास नीरज हर घट से अपनी प्यास बुझा मत ओ प्यासे! प्याला बदले तो मधु ही विष बन जाता है! हैं बरन बरन के फूल धूल की बगिया में लेकिन सब ही …

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