मां के हाथ का खाना कितना स्वादिष्ट होता है, यह तो हम सभी जानते हैंं। हर कोई अपने मां के हाथ के खाने का स्वाद कभी भी नहीं भुलता है। मां अपने खाने में प्यार डालती है, यही प्यार खाने को सबसे ज्यादा स्वादिष्ट बनाता है। मां को अच्छी तरह से पता रहता है की उसके बच्चे को किस तरह …
Read More »सर्प क्यों इतने चकित हो: प्रसून जोशी की मोदी जी के बारे में नयी कविता
सर्प क्यों इतने चकित हो: Here is a nice poem by Prasoon Joshi. The poem is a metaphor for a person who repeated face severe adversities and comes out a winner. Prasoon Joshi recently read this poem for Prime Minister Narendra Modi in London. सर्प क्यों इतने चकित हो: प्रसून जोशी सर्प क्यों इतने चकित हो दंश का अभ्यस्त हूं पी …
Read More »कृष्ण मुक्ति: राजीव कृष्ण सक्सेना
कृष्ण मुक्ति: राजीव कृष्ण सक्सेना – Lord Krishna was cursed by Gandhari that he would be killed by the arrow of a petty hunter in the forest. As if to fulfill this destiny, Lord Krishna went to Prabhasa forest and rested under a tree awaiting his death. A hunter mistaking his feet for a deer shot an arrow that brought …
Read More »हिंदी दिवस Short Poem on Hindi Divas
हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दिन भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदू भाषा को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा घोषित किया था। भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया। हालांकि इसे 26 …
Read More »दादी माँ: Short Poem on Grandmother in Hindi Language
दादी माँ: मेरी दादी के सबसे ज़्यादा करीब मैं हूँ। मेरे घर पर नौ सदस्य है। जिनमे माँ, पिताजी, मैं और मेरी बहन, चाचा – चाची और उनके दो बच्चे यानी दो भाई और दादी है, हम दो मंज़िला इमारत में रहते है। दादी सबसे प्यारी है। मैं अपने दादी से बेहद प्यार करता हूँ। वह सभी का समान रूप से …
Read More »दादी वाला गाँव: Nostalgia Hindi Poem about Ancestral Village Home
दादी वाला गाँव: गाँव भारत का हृदय है। कुछ विद्वान कहते हैं कि असली भारत गाँव में है। लगभग 70% आबादी गाँव में रहती है। लोगों के कल्याण के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया अंत्योदय कार्यक्रम अंतिम पंक्ति में है। गाँव में पंचायती राज संस्थाएँ वह स्तर जहाँ वास्तविक लोकतंत्र की शक्ति का एहसास होता है क्योंकि सत्ता …
Read More »दादा और दादी जी: Inspirational Short Hindi Poem on Grandparents
दादा और दादी जी किसी भी परिवार का वह सदस्य होते है, जो परिवार को संभाल कर रखती है और हमेशा सभी को प्यार देती है। ‘दादा और दादी जी‘ हमेशा बच्चों से स्नेह एवम लाड दुलार करते है और उन्हें किसी भी प्रकार से दुखी नहीं कर सकते है। आज तक आपने और हमने ‘दादा और दादी‘ के ऊपर …
Read More »सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी की देश प्रेम कविता
On the auspicious occasion of the birthday of our past Prime Minister Atal Ji, I am posting excerpt from an inspiring poem written by him. सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी आज सिंधु में ज्वार उठा है नगपति फिर ललकार उठा है कुरुक्षेत्र के कण–कण से फिर पांचजन्य हुँकार उठा है। शत–शत आघातों को सहकर जीवित हिंदुस्थान हमारा जग के …
Read More »सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा: मुहम्मद इक़बाल की देशप्रेम ग़ज़ल
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा: This great poem was written by Allama Muhammad Iqbal, a great poet-philosopher and active political leader. Iqbal was born at Sialkot, Punjab, in 1877. He descended from a family of Kashmiri brahmins but his grandfather Sahaj Ram Sapru, had to embrace Islam (Reference). In 1904, Iqbal, then a young lecturer at the Government College, …
Read More »परशुराम की प्रतीक्षा: रामधारी सिंह दिनकर की कविता
परशुराम की प्रतीक्षा: रामधारी सिंह दिनकर – A just society does not occur spontaneously. It has to be nurtured and protected with valor. Here is a poem so characteristic of Ramdhari Singh Dinkar. Compare with his other works like “Shakti Aur Kshma“, “Vijayi Ki Sadrish Jiyo Re” and Rashmirathi in this collection. Before the contemporary poem evolved as an expression …
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