Tag Archives: Human Behaviour Hindi Stories

गणित का डर: वीर राजा की कहानी जो गणित से हार गया

वीर राजा की कहानी जो गणित से हार गया: गणित का डर

गणित का डर: बहुत समय पहले की बात है बुद्धीनगर नाम के राज्य में एक राजा रहा करता था। राज्य के नाम के अनुसार ही वहाँ पर रहने वाले सब बड़े बुद्धिमान थे और किसी भी मुसीबत का हल चुटकियों में निकाल लेते थे। पर बुद्धीनगर का राजा, जिसका नाम तो था वीरसेन, बड़ा डरपोक था। वह अपने नाम के …

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असलियत: घरवालों से झूठ बोलकर ठंड में ठिठुरते बच्चे की मदद की कहानी

असलियत: घरवालों से झूठ बोलकर ठंड में ठिठुरते बच्चे की मदद की कहानी

असलियत: समनीत अब सातवीं कक्षा में थी। उसके पिताजी रिक्शा चालक थे। एक सुबह समनीत स्कूल के गेट पर पहुंची तो उसने वहां एक छोटे से लड़के को देखा। उसकी एक बाजू नहीं थी। वह कुछ सामान बेच रहा था। उसके पास गुब्बारे, पैंसिलें, रबड़ें, कुछ कापियां और कुछ छोटे-छोटे खिलौने भी थे। उसने वी शेप की अपनी पुरानी सी …

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दिवाली की ऑनलाइन शॉपिंग: शिक्षाप्रद कहानी विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

शिक्षाप्रद हिंदी कहानी: दिवाली की ऑनलाइन शॉपिंग

दिवाली की ऑनलाइन शॉपिंग: “ऑनलाइन शॉपिंग का क्या बुखार चढ़ा है तुम्हें”? रोहित आशीष के कमरे में घुसता हुआ बोला। “हा हा… कितने आराम से सभी चीज़े घर बैठे मिल जाती है और वो भी बहुत सस्ती” आशीष हँसते हुए बोला। दिवाली की ऑनलाइन शॉपिंग: मंजरी शुक्ला “वो तो ठीक है, पर इसका मतलब ये तो नहीं कि तू पेन …

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दिवाली की सच्ची रोशनी: प्रेरक लघुकथा विद्यार्थियों और बच्चों के लिए

दिवाली की सच्च्ची रोशनी: प्रेरक लघुकथा

दिवाली की सच्ची रोशनी: पुराने समय की बात है। महीप नगर में रतनचंद और माणिकदत्त नामक दो व्यापारी रहते थे। दोनों ही नगर के सबसे अमीर व्यक्ति थे। वहां के राजा महीपाल बड़े ही न्यायप्रिय एवं प्रजा बत्सल थे। राजा को तरह-तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित करने का विशेष शौक था। एक बार दिवाली के समय उन्होंने घोषणा करवाई कि दिवाली …

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पेड़ों की रक्षा: खेजड़ी का पेड़ – रेगिस्तान का गौरव व राजस्थान का कल्पवृक्ष

पेड़ों की रक्षा: खेजड़ी का पेड़ - रेगिस्तान का गौरव व राजस्थान का कल्पवृक्ष

पेड़ों की रक्षा: गगन के घर के पास खेजड़ी का एक विशाल वृक्ष था, जिसे उसके दादाजी ने उसके पिताजी के जन्म पर लगाया था। खेजड़ी का यह पौधा वह अपने गांव से लाए थे और कहते थे कि यह बहुत ही अमूल्य पेड़ है। इसे बचाने के लिए अमृता देवी ने खेजड़ी के साथ कट कर प्राण दे दिए …

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अनोखा दशहरा: मंजरी शुक्ला की हास्यप्रद कहानी सोने के पत्तों की

अनोखा दशहरा: मंजरी शुक्ला

अनोखा दशहरा: बहुत समय पहले की बात हैं। उदयपुर राज्य में एक राजा राज्य करता था माधोसिंघ। उसके दिमाग में रह रह कर तरह तरह के फ़ितूर आते रहते थे। इस कारण कभी तो उसकी हरकतों पर लोग हँसते हँसते लोटपोट हो जाते तो कई बार उसे सबके साथ इसका खामियाज़ा भी भुगतना पड़ता पर वो अपनी पुरानी गलतियों से …

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ईमानदारी का सबक: ईमानदार गरीब ठेले वाले की प्रेरणादायक बाल-कहानी

ईमानदारी का सबक: गरीब ठेले वाली की ईमानदारी की प्रेरणादायक कहानी

ईमानदारी का सबक: गिरधारी चाचा हमारे विद्यालय की बगल में ही चाट-पकौड़ी का ठेला लगाते थे जिस पर वह गर्मा-गर्म पूरियां, छोले, गोलगप्पे और चाट बेचते जिनकी प्रसिद्धि बहुत दूर-दूर तक थी। वह सुबह उठकर ठेला लगाते थे। उनके ठेला लगाने भर की बस देर होती, ग्राहक उन्हें चीटियों की मानिद घेर लेते। हमारे स्कूल के नजदीक ही बस स्टैंड …

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दो बैलों की कथा: मुंशी प्रेमचंद की लोकप्रिय हिंदी कहानी

Munshi Premchand Classic Hindi Story दो बैलों की कथा

कथाकार मुंशी प्रेमचंद भारत के ही नहीं, दुनियाभर में विख्यात हुए और ‘कथा सम्राट‘ कहलाए। प्रेमचंद की जयंती 31 जुलाई को बड़े ही उत्‍साह से मनाई जाती  है। इस खास मौके पर उनकी कहानी ‘दो बैलों की कथा‘ पढ़कर अपनी यादें ताजा कर लीजिए… दो बैलों की कथा [1]: हीरा और मोती जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता …

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बड़े घर की बेटी: ग्रामीण घर गृहस्थी पर मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी

Munshi Premchand Short Story Bade Ghar Ki Beti in Hindi बड़े घर की बेटी

बड़े घर की बेटी मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखित प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी में उन्होंने संयुक्त परिवार में उत्पन्न होने वाली समस्याओं, कलहों, बात का बतंगड़ बन जाने और फिर आपसी समझदारी से बिगड़ती परिस्थिति को सामान्य करने का हुनर को दर्शाया है। बड़े घर की बेटी में कहानीकार ने पारिवारिक मनोविज्ञान को बड़ी ही सूक्ष्मता से बेनीमाधव सिंह, …

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लौट आओ पापा: पितृ दिवस पर हिंदी बाल-कहानी

लौट आओ पापा: पितृ दिवस पर हिंदी बाल-कहानी

लौट आओ पापा: कहते है जाने वाला कभी लौट कर नहीं आता है, पर इन सभी बातों को झुठलाते हुए, आप लौट आओ पापा। घर पर आपकी बहुत ज़रूरत है। ज़रूरत तो हम सबको है पर माँ को सबसे ज़्यादा। कल भैया का फ़ोन आया था। बता रहे थे कि माँ अभी भी देहरी पर बैठी रहती है किसी ना …

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