हे मानव! अपने जीवन में, यदि नित्यदिन करोगे योगा। तो बिना रुपइया खर्च किए, शत प्रतिशत लाभ तुम्हें होगा। हर कोई इसे कर सकता है, छोटा, बड़ा, अमीर, गरीब। न औषधि की आवश्यकता है, न ही बीमारी आये करीब। भांति-भांति के आसन हैं, और भिन्न-भिन्न हैं नाम। शरीर के हर एक हिस्से को, मिलता इससे बहुत आराम। आभार प्रकट करता …
Read More »Yoga Diwas Hindi Poem योग दिवस
कहाँ खोई प्रतिभा लौट के आई, भारत को पहचान दिलाई, विश्व ने माना योग का लोहा, योग ने दुनिया का मन मोहा, अफसर हो या चपरासी, चाहे कितनी आपाधापी, उठी प्रेम से सबकी नज़र, योग ने किया बेहतरीन सफर, आसन हो या प्राणायाम, कूदते फांदते करते व्यायाम, सड़क पे उतरी सरकार, “स्वस्थ विश्व” सपना होता साकार, योग ने दिया भारत …
Read More »Hindi Poem on Yoga & Meditation ध्यान और योग
प्रकृति की गोद में, करें ध्यान और योग, प्राणायाम से नष्ट हों जीवन के सब रोग। जीवन के सब रोग मिटें, आनंद मिलेगा, सकारात्मक उर्जा होगी तो हृदय खिलेगा। कवि हो जाता धन्य देख यह दृष्य सुहाना, ऐसे सुख से बढ़ कर सुख न हमने जाना। ~ रजनीश माँगा क्या है “ध्यान और योग” का मेल ‘ध्यान’ चेतन मन की …
Read More »तेरा राम नहीं: निदा फ़ाज़ली की ज़िन्दगी पर कविता
We all live our lives and the fact is that no body’s experiences can really help us in real sense. Here is a reflection on these realities. A lovely poem by Nida Fazli. तेरे पैरों चला नहीं जो धूप छाँव में ढला नहीं जो वह तेरा सच कैसे, जिस पर तेरा नाम नहीं है? तुझ से पहले बीत गया जो …
Read More »जनम दिन: नीरज की निराशा से भरी प्रेम कविता
Here is an excerpt from a poem expressing the wishes of a poor poet for his love on her birthday. आज है तेरा जनम दिन, तेरी फुलबगिया में फूल एक और खिल गया है किसी माली का आज की रात तेरी उम्र के कच्चे घर में दीप एक और जलेगा किसी दिवाली का। आज वह दिन है किसी चौक पुरे …
Read More »कारवां गुजर गया: मशहूर कवि, गीतकार नीरज की लोकप्रिय कविता
A very powerful poem indeed. When we are young, we have dreams and aspirations. Most of these are never realized. Life passes on and suddenly one day we find ourselves exhausted, past our primes even as our dreams lay shattered. This sentiment is so beautifully captured by Gopal Das Neeraj in this classic poem. The poem was also adopted as …
Read More »खग उड़ते रहना जीवन भर: नीरज की एक प्रेरक हिंदी कविता
In this poem, Neeraj exhorts us to keep making efforts and not lose hope. These lines are very similar to what Lord Krishna told Arjuna in Kurukshetra (Geeta Chapter 2, shlokas 35, 36 and 37) खग उड़ते रहना जीवन भर: गोपाल दास नीरज खग! उड़ते रहना जीवन भर! भूल गया है तू अपना पथ‚ और नहीं पंखों में भी गति‚ किंतु …
Read More »अज्ञात साथी के नाम: नीरज की निराशा से भरी प्रेम कविता
In this age of mobile phones, internet and emails, here is a poem with old-world charm. Old world where a hand written letter could easily light up a day, a life. Here is a charmer from Neeraj. लिखना चाहूँ भी तुझे खत तो बता कैसे लिखूँ ज्ञात मुझको तो तेरा ठौर ठिकाना भी नहीं दिखना चाहूँ भी तुझे तो मैं …
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