परशुराम की प्रतीक्षा: रामधारी सिंह दिनकर – A just society does not occur spontaneously. It has to be nurtured and protected with valor. Here is a poem so characteristic of Ramdhari Singh Dinkar. Compare with his other works like “Shakti Aur Kshma“, “Vijayi Ki Sadrish Jiyo Re” and Rashmirathi in this collection. Before the contemporary poem evolved as an expression …
Read More »नारी: सुमित्रानंदन पंत की लोकप्रिय हिंदी कविता
We human beings are one of the animal species. Yet with our newfound ability to think and plan, we have created a very artificial world around us. Men the problem solvers are essentially responsible for creating this artificial world whereas women have remained much closer to nature and natural emotions. Latter remains a much more powerful force and if a …
Read More »अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस पर हिंदी कविता: मैं नारी
अंतरराष्ट्रीय नारी दिवस पर हिंदी कविता: मैं नारी – 1933 से 1945 के बीच अमेरिका की फर्स्ट लेडी रहीं एलियानोर रूजवेल्ट ने कहा था, ‘महिला एक टीबैग की तरह है, जब तक आप उसे गर्म पानी में न डालें तब तक पता ही नहीं चलता कि वह कितनी स्ट्रॉन्ग है।‘ उसने मां, बेटी, बहन और दोस्त जैसे न जाने कितने …
Read More »नारी तुझे सलाम: महिला दिवस के सन्दर्भ में हिंदी कविता
नारी तुझे सलाम: महिला दिवस के सन्दर्भ में हिंदी कविता – दुनिया भर में हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है। महिला दिवस के नाम से ही जाहिर है कि ये दिन महिलाओं को समर्पित है। महिला दिवस के बहाने हम देश-दुनिया की ऐसी महिलाओं को याद करते हैं जिन्होंने वैश्विक पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी …
Read More »महिला दिवस पर कविता: पहली नारी
मेरा प्रणाम है पहली नारी सीता को जिसने एक सीमा (लक्ष्मण रेखा) को तोडकर भले ही जीवन भर अथाह दुख सहे लेकिन आधुनिक नारी को आजादी का मार्ग दिखा दिया… महिला दिवस पर कविता धन्य हो तुम माँ सीता तुमने नारी का मन जीता बढाया था तुमने पहला कदम जीवन भर मिला तुम्हें बस गम पर नई राह तो दिखला …
Read More »होकर मगन आया है बसंत: वसंत ऋतु पर कविता
होकर मगन आया है बसंत: माघ महीने की पंचमी तिथि से ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। वसंत पंचमी पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से …
Read More »बसंती हवा: केदार नाथ अग्रवाल
बसंती हवा: केदारनाथ अग्रवाल (१ अप्रैल १९११ – २२ जून २०००) प्रमुख हिन्दी कवि थे। १ अप्रैल १९११ को उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के कमासिन गाँव में हनुमान प्रसाद गुप्ता व घसीटो देवी के घर हुआ था। केदार जी के पिताजी स्वयं कवि थे और उनका एक काव्य संकलन ‘मधुरिम’ के नाम से प्रकाशित भी हुआ था। केदार जी …
Read More »जलियाँवाला बाग में बसंत: सुभद्रा कुमारी चौहान
जलियाँवाला बाग में बसंत: सुभद्रा कुमारी चौहान – Jallianwala Bagh (जलियाँवाला बाग) is a public garden in Amritsar, and houses a memorial of national importance, established in 1951 by the Government of India, to commemorate the massacre of peaceful celebrators including unarmed women and children by British occupying forces, on the occasion of the Punjabi New Year (Baisakhi) on 13 …
Read More »सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा: मुहम्मद इक़बाल की देशप्रेम ग़ज़ल
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा: This great poem was written by Allama Muhammad Iqbal, a great poet-philosopher and active political leader. Iqbal was born at Sialkot, Punjab, in 1877. He descended from a family of Kashmiri brahmins but his grandfather Sahaj Ram Sapru, had to embrace Islam (Reference). In 1904, Iqbal, then a young lecturer at the Government College, …
Read More »सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी की देश प्रेम कविता
सिंधु में ज्वार: On the auspicious occasion of the birthday of our past Prime Minister Atal Ji, I am posting excerpt from an inspiring poem written by him. सिंधु में ज्वार: अटल बिहारी वाजपेयी आज सिंधु में ज्वार उठा है नगपति फिर ललकार उठा है कुरुक्षेत्र के कण–कण से फिर पांचजन्य हुँकार उठा है। शत–शत आघातों को सहकर जीवित हिंदुस्थान …
Read More »