Tag Archives: Manifestations and aspects of Sikh Gurus

हिन्द की चादर: श्री गुरु तेग बहादुर – सिखों के नौवें गुरु

हिन्द की चादर: श्री गुरु तेग बहादर

हिन्द की चादर: सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी विश्व के एकमात्र ऐसे धार्मिक महापुरुष हुए हैं जिन्होंने किसी दूसरे धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। इनका प्रकाश श्री गुरु हरगोबिंद साहिब के गृह में 1621 ई. को माता नानकी जी की कोख से गुरु के महल अमृतसर साहिब में हुआ। ये बचपन से …

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बन्दा सिंह बहादुर: सिख योद्धा जिसने लिया छोटे साहिबजादों के बलिदान का बदला

बन्दा सिंह बहादुर: सिख योद्धा जिसने लिया छोटे साहिबजादों के बलिदान का बदला

Banda Singh Bahadur: भारत में बहादुर और वीर योद्धाओं की कभी कमी नहीं रही, जिन्होंने अत्याचारी और क्रूर मुगलों का डटकर मुकाबला किया। इन्हीं वीर योद्धाओं में से एक थे बंदा वीर वैरागी (बन्दा सिंह बहादुर)। ये पहले ऐसे व्यक्ति हुए, जिन्होंने मुगलों के अजेय होने का भ्रम तोड़ा। छोटे साहिबजादों के बलिदान का बदला लिया और गुरु गोबिन्द सिंह …

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शहीदों के सरताज हैं सिखों के 5वें गुरु अर्जन देव जी

शहीदों के सरताज हैं सिखों के 5वें गुरु अर्जन देव जी

Guru Arjan Dev Ji shaheedi Purab: गुरु अर्जुन देव जी सिखों के पांचवें गुरु तथा सिख धर्म के पहले शहीद हुए हैं। इन्हें शहीदों का सरताज कहा जाता है। इनकी शहीदी के बाद इनके सुपुत्र गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने शांति के साथ-साथ सैनिक बनने का भी उपदेश दिया। श्री गुरु अर्जुन देव जी का प्रकाश श्री गुरु रामदास जी के …

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शांति के पुंज: गुरु अर्जुन देव जी – शहीदों के सरताज, सिखों के पांचवें गुरु

शांति के पुंज: गुरु अर्जुन देव जी - शहीदों के सरताज, सिखों के पांचवें गुरु

शांति के पुंज, शहीदों के सरताज, सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी की शहादत अतुलनीय है। मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी श्री गुरु अर्जुन देव जो अपने युग के सर्वमान्य लोकनायक थे। वह दिन-रात संगत की सेवा में लगे रहते थे। उनके मन में सभी धर्मों के प्रति अथाह स्नेह था। …

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सिख गुरु अमर दास: वैष्णव संत

सिख गुरु अमर दास: वैष्णव संत

25 साल छोटे गुरु के शिष्य, जिनके सामने झुका अकबर भी… 20 बार हरिद्वार जाने वाले वैष्णव संत कैसे बने सिखों के तीसरे गुरु वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले अमर दास को हरिद्वार की यात्रा खासी पसंद थी और वो वहाँ अक्सर तीर्थाटन के लिए जाया करते थे। कम से कम उन्होंने 20 बार हरिद्वार की यात्रा की। इन्हीं …

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