गब्बू भालू बेच तो गुब्बारे रहा था पर उसका पूरा ध्यान, पेड़ पर लगे शहद के छत्ते पर था। मधुमक्खियाँ भी कम शैतान नहीं थी। वे भी अपने छत्ते में आराम से बैठकर गब्बू को देख रही थी और हँस रही थी। उन्होंने टॉमी कुत्ते को थोड़ा सा शहद देकर अपनी तरफ़ मिला लिया था। टॉमी को शहद इतना पसँद …
Read More »नई सुबह: साक्षरता प्रेरक प्रेरणादायक बाल कहानी
“काँच के अंदर झाँकने से किताब पढ़ने को नहीं मिल जाएगा” चाय की गुमटी से बापू गुस्से से चीखे जो लाइब्रेरी के पास ही बनी हुई थी। छोटू पर इस बात का कोई असर नहीं हुआ। वह चेहरे से बारिश की बूँदें पोंछता हुआ शीशे के अंदर देखता रहा। अंदर का दृश्य उसके लिए किसी स्वप्न लोक से कम नहीं …
Read More »सौदा: लालची बाप के बिकाऊ बेटे की हास्य कहानी
मेरे पिताजी से ज्यादा दरियादिल और महान इंसान मैंने आज तक नहीं देखा। दरियादिल इसलिए क्योंकि उनके दिल में कंजूसी और कृपणता दोनों का दरिया पूरे वेग के साथ बहता है और महान इसलिए क्योंकि वह कंजूसी के साम्राज्य के वो महान सम्राट है जिनकी टक्कर में कोई खड़ा ही नहीं हो सकता। घर हो या बाहर, वो जहाँ भी …
Read More »अंशु की बा: कस्तूरबा गांधी के जीवन से प्रेरित कहानी
“मुझे तो समझ ही नहीं आता कि तुम इतनी दब्बू क्यों हो?” मनीषा ने गुस्से से कहा। “हाँ, जो भी आता है, तुम्हें चार बातें सुना कर चला जाता है” अंकुर ने तुरंत कहा। अंशू सिर झुकाये अपने दोस्तों की बातें चुपचाप सुन रही थी। “अब कुछ बोलोगी भी या नहीं?” मनीषा ने तेज आवाज़ में कहा। “मुझे लगता है …
Read More »न्याय: घर की नौकरानी की रोजमरा के दुखों से टिक-टोक
“पाँच हज़ार रुपये दे दो बाबूजी…” धन्नो बाबूजी के पैरों पर अपना सिर रखे दहाड़े मार कर रो रही थी और बाबूजी निर्विकार भाव से बैठकर पेपर पढ़ रहे थे। रोते-रोते धन्नों की हिचकियाँ बंध गई थी और आँखें सूजकर लाल हो चुकी थी पर बाबूजी किसी बुत की तरह बिना हिले डुले चुपचाप अपनी आरामकुर्सी पर बैठे हुए थे। …
Read More »रिश्ता: बनते बिगड़ते रिश्तों की अनकही कहानी
शानू, असलम चाचू आये है जरा दो कप चाय तो बनाकर लाना। “अदरक वाली… कड़क…” असलम चाचा बोले, जिन्हें मैं प्यार से चाचू बोलती थी। “घर में तो अदरक की फैक्टरी लगी है ना… अभी अभी कई देशों में भेजी है हमने…” कहते हुए दादी के पूजा घर में घंटे और घड़ियाल जोरों से घर में बजने लगे थे। मैंने …
Read More »भारत की लोकप्रिय लोक कथाएं: जादुई ढोल – आराधना झा
पश्चिम भारत के एक छोटे-से राज्य में, धर्मराज नामक एक बुद्धिमान और न्यायप्रिय राजा रहता था। उसकी प्रजा के मन में उसके लिए बहुत श्रद्धा और आदर था। राजा धर्मराज बहुत लम्बा, ऊंचा और रूपवान था। उसके सिर के बाल काले और घने थे जिन्हे उसका ख़ास कोई भोलू ही काटता था। भोलू यह काम कई वर्षों से कर रहा …
Read More »जब उपहार में मिला एक पालतू जानवर: टिक्कू का गिफ़्ट
“मम्मी मुझे एक छोटा सा बिल्ली का बच्चा चाहिए” आठ साल का टिक्कू मम्मी से लड़ियाता हुआ बोला। मम्मी तुरंत बोली – “बिल्ली सारा दूध पी जाया करेगी”। “पर मम्मी मेरे सभी दोस्तों के पास पालतू जानवर है, मुझे भी एक चाहिए”। मम्मी ने बात बदलते हुए कहा – “जाओ, जल्दी से जाकर पार्क में अपने दोस्तों के साथ खेल …
Read More »बच्चों के लिए रोचक हास्यप्रद बाल कहानी: जंपी मेंढक
“दिन भर उछल कूद करते रहते हो। थोड़ी देर शांति से नहीं बैठ सकते” पीहू चिड़िया ने पानी से भीगे हुए पँख फड़फड़ाते हुए कहा। जंपी मेंढक कुछ कहता, इससे पहले ही घोंदू मगरमच्छ बोला – “इसके उछलने कूदने से मैं परेशान हो चुका हूँ। कल तो मेरी आँख ही फूटते हुए बची थी”। जंपी मेंढक सकपकाता हुआ बोला – …
Read More »धैर्य व सब्र पर प्रेरणादायक कहानी: धन जरना
किसी गांव में एक बुजुर्ग किसान हाथ में माला लिए प्रभु का सिमरन करता रहता था। बेटे-बहुएं, पोते-पोतियां घर में आते-जाते उसको माला पकड़े देखते और समझने की कोशिश करते कि पिता जी जो बोलते हैं वह सुनाई देता है पर समझ नहीं आता। वह किसान माला जपते-जपते “धन जरना, धन जरना” का शब्द उच्चारण करता। बेटे-बहुएं तो आदि हो …
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