मेरे पापा मेरे अपने: सवा चार साल की मेरी धेवती, सुरभि 19 अप्रैल 22, को अपने पिता के मृत शरीर को देख रही थी और अनेकानेक सगे संबंधियों का रुदन देख रही थी और गंभीरता पूर्वक जो दुखद घटना घटी, उन सब की बातें सुन रहीं थी। उसके अत्यंत कोमल पूछताछ का ताना बाना है, यह शोकगीत। सुरभि का कहना …
Read More »माँ-बाप: बुजुर्ग माता पिता पर हिंदी कविता
देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं… सुबह की सैर में, कभी चक्कर खा जाते है, सारे मौहल्ले को पता है, पर हमसे छुपाते है… दिन प्रतिदिन अपनी, खुराक घटाते हैं, और तबियत ठीक होने की, बात फ़ोन पे बताते है… ढीली हो गए कपड़ों, को टाइट करवाते है, देखते ही देखते जवान, माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं…! …
Read More »कारवां गुजर गया: मशहूर कवि, गीतकार नीरज की लोकप्रिय कविता
A very powerful poem indeed. When we are young, we have dreams and aspirations. Most of these are never realized. Life passes on and suddenly one day we find ourselves exhausted, past our primes even as our dreams lay shattered. This sentiment is so beautifully captured by Gopal Das Neeraj in this classic poem. The poem was also adopted as …
Read More »धूम्रपान विद्यार्थियों और बच्चों के लिए कविता: क्यों मौत बुला रहे हो?
वर्तमान में धूम्रपान की सबसे प्रचलित विधि सिगरेट है, जो मुख्य रूप से उद्योगों द्वारा निर्मित होती है किन्तु खुले तम्बाकू तथा कागज़ को हाथ से गोल करके भी बनाई जाती है। धूम्रपान के अन्य साधनों में पाइप, सिगार, हुक्का एवं बॉन्ग शामिल हैं। ऐसा बताया जाता है कि धूम्रपान से संबंधित बीमारियां सभी दीर्घकालिक धूम्रपान करने वालों में से …
Read More »धूम्रपान है दुर्व्यसन: धूम्रपान आदत पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए कविता
धूम्रपान है दुर्व्यसन, मुँह में लगती आग स्वास्थ्य, सभ्यता, धन घटे, कर दो इसका त्याग। बीड़ी-सिगरेट पीने से, दूषित होती वायु छाती छननी सी बने, घट जाती है आयु। रात-दिन मन पर लदी, तम्बाकू की याद अन्न-पान से भी अधिक, करे धन-पैसा बरबाद। कभी फफोले भी पड़ें, चिक जाता कभी अंग छेद पड़ें पोशाक में, आग राख के संग। जलती …
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