Tag Archives: Refusal Hindi Poems

जब इस धरती पर राजपूत आया: राजपूतों का शौर्य गान

जब इस धरती पर राजपूत आया: राजपूतों का शौर्य गान

राजपूत भारतीय उपमहाद्वीप की बहुत ही प्रभावशाली जाति है, जो शासन और सत्ता के सदैव निकट रही है। अपनी युद्ध-कुशलता और शासन-क्षमता के कारण राजपूतों ने पर्याप्त ख्याति अर्जित की। राजपूत उत्तर भारत का एक क्षत्रिय कुल माना जाता है जो कि ‘राजपुत्र’ का अपभ्रंश है। राजस्थान को ब्रिटिशकाल में ‘राजपुताना’ भी कहा गया है। ‘Rajput’ is derivative of a …

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पन्ना दाई: सत्य नारायण गोयनका की वीर रस कविता

पन्ना दाई - सत्य नारायण गोयंका

Panna Dhai (also spelled Panna Dai “पन्ना दाई“) was a 16th-century nursemaid to Udai Singh II, the fourth son of Maharana Sangram Singh (12 April 1484 – 17 March 1527). Her name, Panna means emerald, and dai means a nurse in Hindi language. She had been given charge of young Udai Singh, breastfeeding him virtually from his birth in 1522, along …

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गोरा बादल: पंडित नरेंद्र मिश्र की वीर रस हिंदी कविता

गोरा-बादल: पंडित नरेंद्र मिश्र की वीर रस हिंदी कविता

दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी। जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी।। रावल रत्न सिंह को छल से कैद किया खिलजी ने काल गई मित्रों से मिलकर दाग किया खिलजी ने खिलजी का चित्तोड़ दुर्ग में एक संदेशा आया जिसको सुनकर शक्ति शौर्य पर फिर अँधियारा छाया दस दिन के भीतर न पद्मिनी का डोला यदि आया …

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कारवां गुजर गया: मशहूर कवि, गीतकार नीरज की लोकप्रिय कविता

Gopal Das Neeraj

A very powerful poem indeed. When we are young, we have dreams and aspirations. Most of these are never realized. Life passes on and suddenly one day we find ourselves exhausted, past our primes even as our dreams lay shattered. This sentiment is so beautifully captured by Gopal Das Neeraj in this classic poem. The poem was also adopted as …

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अज्ञात साथी के नाम: नीरज की निराशा से भरी प्रेम कविता

अज्ञात साथी के नाम - गोपाल दास नीरज

In this age of mobile phones, internet and emails, here is a poem with old-world charm. Old world where a hand written letter could easily light up a day, a life. Here is a charmer from Neeraj. लिखना चाहूँ भी तुझे खत तो बता कैसे लिखूँ ज्ञात मुझको तो तेरा ठौर ठिकाना भी नहीं दिखना चाहूँ भी तुझे तो मैं …

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