Tag Archives: Self Respect Poems for Children

छिप छिप अश्रु बहाने वालों: नीरज की कविता जो हमेशा हौसला देगी

छिप छिप अश्रु बहाने वालों: गोपाल दास नीरज

This poem is quite in contrast to the previous one “Kaarvan Gujar Gaya” by Gopal Das Neeraj, even its answer in a way. Here is a more optimistic view on life. It exhorts us to take things in stride and carry on even if life brings onto us some nasty surprises. Another beautiful poem of Neeraj… छिप छिप अश्रु बहाने वालों, …

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धर्म है: गोपाल दास नीरज की प्रेरणादायक हिंदी कविता

धर्म है: गोपाल दास नीरज

Here is a lovely poem of Gopal Das Neeraj that tells us that challenges must be met head-on and are not to be avoided. जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है। जिस वक्त जीना गैर मुमकिन सा लगे उस वक्त जीना फ़र्ज है इन्सान का लाज़िम लहर के साथ है तब खेलना जब हो समुन्दर …

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माँ की ममता: मातृ दिवस पर हिंदी कविताएँ

माँ की ममता - Mother's Day Special Hindi Bal Kavita

माँ की ममता जब मैं छोटी बच्ची थी, माँ की प्यारी दुलारी थी, माँ तो हमको दूध पिलाती, माँ भी कितनी भोली-भाली। माखन-मिश्री घोल खिलाती, बड़े मज़े से गोद में सुलाती, माँ तो कितनी अच्छी है, साड़ी दुनिया उसमें है। ∼ सुप्रीता झा

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माँ: दिल छू जाने वाली हिंदी कविता

माँ - दिल छू जाने वाली हिंदी कविता

मै तेरा गुनेहगार हूँ माँ मै तुझे भूल गया उन झूठे रिश्तो के लिए जो मैंने बाहर निभाए उन झूठे नातो के लिए जो मेरे काम ना आये मै तेरा गुनेहगार हूँ माँ बॉस के कुत्ते को कई बार डॉक्टर को दिखाना पड़ा पुचकार कर उसे खुद अपना हाथ भी कटवाना पड़ा पर तेरा चश्मा न बनवा पाया तुझे दवा …

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मां, मेरी मां, प्यारी मां मम्मा: कैलाश खेर का दसविदानिया फिल्म से गीत

मां, मेरी मां, प्यारी मां मम्मा - कैलाश खेर Hindi Film Song on Mother

Dasvidaniya (दसविदानिया) is a Bollywood film released on 7 November 2008. The name of the movie is a pun on the list of ten things to be done before death made by Vinay Pathak, and is a play on the Russian phrase до свидания (do svidaniya), meaning good bye. Amar Kaul (Vinay Pathak) is a 37-year-old accounts manager at a …

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माँ: श्रेया गौर – बाल भेदभाव पर हिंदी बाल-कविता

माँ - श्रेया गौर Request from a girl child to her mother

माँ! मैं कुछ कहना चाहती हूँ, माँ! मैं जीना चाहती हूँ। तेरे आँगन की बगिया में चाहती हूँ मैं पलना, पायल की छमछम करती, चाहती मैं भी चलना। तेरी आँखों का तारा बन चाहती झिलमिल करना, तेरी सखी सहेली बन चाहती बातें करना। तेरे आँगन की तुलसी बन, तुलसी सी चाहती मैं हूँ बढ़ना, मान तेरे घर का बन माँ! …

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आरक्षण की तलवार: आरक्षण के मुद्दे पर हिंदी कविता

आरक्षण की तलवार

आरक्षण एक ऐसा शब्द है, जिसका नाम हर दूसरे व्यक्ति के मुह पर है, अर्थात् आरक्षण भारत मे, बहुत चर्चा मे है। वैसे तो हम, इक्कीसवी सदी मे जी रहे है और अब तक आरक्षण कि ही, लड़ाई लड़ रहे है। युवाओ और देश के नेताओ के लिये, आज की तारीख मे सबसे अहम सवाल यह है कि, आरक्षण किस …

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