क्या चाचा, लो जरा सा आईना तो देख लो… कितने दिन हो गए तुमने बाल भी नहीं सँवारे। सूरज की आवाज़ से मैं खिड़की से बाहर झाँकता हुआ जैसे नींद से जागा। मैंने पनियल आँखों से सूरज की ओर देखा, जो मेरा भतीजा था पर आज मेरे बेटे से बढ़कर मेरा साथ दे रहा था। वो मेरी मन-स्तिथि समझ गया …
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