Here is a popular poem of Sohanlal Dwivedi Ji. Who teaches birds… Many would have read it in school days. कौन सिखाता है चिड़ियों को: सोहनलाल द्विवेदी कौन सिखाता है चिडियों को चीं–चीं चीं–चीं करना? कौन सिखाता फुदक–फुदक कर उनको चलना फिरना? कौन सिखाता फुर से उड़ना दाने चुग-चुग खाना? कौन सिखाता तिनके ला–ला कर घोंसले बनाना? कौन सिखाता है …
Read More »युगावतार गांधी: सोहनलाल द्विवेदी
चल पड़े जिधर दो डग, मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर, पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि पड़ गए कोटि दृग उसी ओर। जिसके शिर पर निज धरा हाथ उसके शिर-रक्षक कोटि हाथ, जिस पर निज मस्तक झुका दिया झुक गए उसी पर कोटि माथ॥ हे कोटिचरण, हे कोटिबाहु, हे कोटिरूप, हे कोटिनाम, तुम एकमूर्ति, प्रतिमूर्ति कोटि हे …
Read More »तुम्हें नमन: सोहनलाल द्विवेदी की प्रेरणादायक कविता
Albert Einstein said about him, “Generations to come will scarcely believe that such a one as this walked the earth in flesh and blood”. What a phenomenon our Father of the nation was! He took on an empire about which it was said that the “sun never sets on it”, and lead a whole subcontinent to freedom. That too while …
Read More »हिमालय से भारत का नाता: गोपाल सिंह नेपाली
Currently, we face confrontation on our northern border. China from across Himalaya is becoming aggressive. Here is an old and famous poem of Gopal Singh Nepali about the relationship of Himalaya with India. गोपाल सिंह नेपाली (Gopal Singh Nepali) का 11 अगस्त 1911 को बेतिया, पश्चिमी चम्पारन (बिहार) में जन्म हुआ। गोपाल सिंह नेपाली को हिन्दी के गीतकारों में विशेष …
Read More »जनतंत्र का जन्म: रामधारी सिंह दिनकर
In view of the current crusade of Anna Hazare against corruption, this poem about the power of masses becomes a must read. Dinkar Ji wrote this beautiful poem when India became a Republic on January 26, 1950. India‘s population was 33 Crores that time. From now on, it would be the meek people of the land who would collectively rule this …
Read More »पंद्रह अगस्त: 1947 – गिरिजा कुमार माथुर की देश प्रेम हिंदी कविता
Here is a famous poem that was written by the well known poet Girija Kumar Mathur at the time when India got independence. The poem is still relevant today. पंद्रह अगस्त: 1947 – गिरिजा कुमार माथुर आज जीत की रात पहरुए सावधान रहना! खुले देश के द्वार अचल दीपक समान रहना! प्रथम चरण है नए स्वर्ग का है मंज़िल का …
Read More »होगा तभी दशहरा: विजय दशमी पर हिंदी कविता
दशहरा के त्यौहार पर हिंदी कविता – होगा तभी दशहरा किस्सा एक पुराना बच्चों, लंका में था रावण, राजा एक महा-अभिमानी, काँपता जिससे कण-कण। उस अभिमानी रावण ने था, सबको खूब सताया, रामचन्द्र जब आये वन में, सीता को हर लाया। झिलमिल झिलमिल सोने की, लंका पैरो पे झुकती, और काल की गति भी भाई, उसके आगे रूकती। सुन्दर थी लंका, लंका …
Read More »जय सरस्वती माता: सरस्वती माँ की आरती
Goddess Saraswati: The name Saraswati came from “saras” (meaning “flow”) and “wati” (meaning “she who has …”), i.e. “she who has flow” or can mean sara meaning “essence” and swa meaning “self”. So, Saraswati is symbol of knowledge; its flow (or growth) is like a river and knowledge is supremely alluring, like a beautiful woman. She is depicted as beautiful …
Read More »प्रेरक हिंदी कविता: कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
कई लोग इस रचना को हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन श्री अमिताभ बच्चन ने अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में स्पष्ट किया है कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी जी की है। कोशिश करने वालों की हार नहीं होती: सोहनलाल द्विवेदी जी की प्रेरक हिंदी कविता लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार …
Read More »यह है भारत देश हमारा: सुब्रह्मण्य भारती की देश प्रेम कविता
सुब्रह्मण्य भारती (जन्म: 11 दिसम्बर, 1882 – मृत्यु: 11 सितम्बर, 1921) भारत के महान् कवियों में से एक थे, जिन्होंने तमिल भाषा में काव्य रचनाएँ कीं। इन्हें महाकवि भरतियार के नाम से भी जाना जाता है। भारती एक जुझारू शिक्षक, देशप्रेमी और महान् कवि थे। आपकी देश प्रेम की कविताएँ इतनी श्रेष्ठ हैं कि आपको भारती उपनाम से ही पुकारा …
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