Tag Archives: Top 10 Old Classic Poems in Hindi

आओ तुम्हे बताऊ के माँ क्या है: कैफ़ी आज़मी

आओ तुम्हें बताऊ के माँ क्या हैं - कैफ़ी आज़मी Hindi Film Song on Mother

आओ तुम्हे बताऊ के माँ क्या है: कैफ़ी आज़मी आओ आओ तुम्हे बताऊ के माँ क्या है माँ एक ज्योति जीवन है बाकी सब अन्धियारा है माँ एक ज्योति जीवन है बाकी सब अन्धियारा है साच्ची उसके दुनिया में भगवान ने प्यार उतारा है माँ का दूजा नाम है प्यार मेरे साथी मेरे यार आओ आओ तुम्हे बताऊ के माँ …

Read More »

भारतमाता ग्रामवासिनी: सुमित्रानंदन पंत

भारतमाता ग्रामवासिनी - सुमित्रानंदन पंत

Soul of India resides in her villages. Agyeya said so in his poem “Hamara Desh” and in this famous poem Sumitranandan Pant Ji makes the point that the gentle, compassionate, enduring and caring Bharatmata lives in villages. भारतमाता ग्रामवासिनी: सुमित्रानंदन पंत भारत माता ग्रामवासिनी। खेतों में फैला है श्यामल, धूल भरा मैला सा आँचल, गंगा यमुना में आँसू जल, मिट्टी …

Read More »

अपराधी कौन: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की देश प्रेम कविता

Hindi Poem on Desh Prem / Frustration अपराधी कौन - रामधारी सिंह दिनकर

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ भारत में हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद ‘राष्ट्रकवि’ के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि …

Read More »

युगावतार गांधी: सोहनलाल द्विवेदी

Hindi Poem about Father of the Nation - Mahatma Gandhi युगावतार गांधी

चल पड़े जिधर दो डग, मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर, पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि पड़ गए कोटि दृग उसी ओर। जिसके शिर पर निज धरा हाथ उसके शिर-रक्षक कोटि हाथ, जिस पर निज मस्तक झुका दिया झुक गए उसी पर कोटि माथ॥ हे कोटिचरण, हे कोटिबाहु, हे कोटिरूप, हे कोटिनाम, तुम एकमूर्ति, प्रतिमूर्ति कोटि हे …

Read More »

तुम्हें नमन: सोहनलाल द्विवेदी की प्रेरणादायक कविता

तुम्हें नमन - सोहनलाल द्विवेदी

Albert Einstein said about him, “Generations to come will scarcely believe that such a one as this walked the earth in flesh and blood”. What a phenomenon our Father of the nation was! He took on an empire about which it was said that the “sun never sets on it”, and lead a whole subcontinent to freedom. That too while …

Read More »

अरुण यह मधुमय देश हमारा: जय शंकर प्रसाद

अरुण यह मधुमय देश हमारा - जय शंकर प्रसाद

A lovely classic by Jai Shankar Prasad. Hindi is a bit difficult so I have provided the meanings of difficult words… अरुण यह मधुमय देश हमारा: जय शंकर प्रसाद अरुण यह मधुमय देश हमारा। जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा। सरस तामरस गर्भ विभा पर नाच रही तरुशिखा मनोहर छिटका जीवन हरियाली पर मंगल कुंकुम सारा। लघु सुरधनु …

Read More »

हिमाद्रि तुंग शृंग से: जय शंकर प्रसाद की देशप्रेम कविता

Jaishankar Prasad Inspirational Desh Bhakti Poem हिमाद्रि तुंग शृंग से

Here is an old classic inspirational poem by Jay Shankar Prasad. हिमाद्रि तुंग शृंग से: जय शंकर प्रसाद हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती – स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती – ‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!’ असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्यदाह-सी, सपूत मातृभूमि के – रुको न शूर साहसी! …

Read More »

हल्दीघाटी: पंचदश सर्ग – श्याम नारायण पाण्डेय

हल्दीघाटी: पंचदश सर्ग - श्याम नारायण पाण्डेय

Shyam Narayan Pandey (1907 – 1991) was an Indian poet. His epic Jauhar, depicting the self-sacrifice of Rani Padmini, a queen of Chittor, written in a folk style, became very popular in the decade of 1940-50. पंचदश सर्ग: सगपावस बीता पर्वत पर नीलम घासें लहराई। कासों की श्वेत ध्वजाएं किसने आकर फहराई? ॥१॥ नव पारिजात–कलिका का मारूत आलिंगन करता कम्पित–तन …

Read More »

Ramdhari Singh Dinkar Old Classic Poem about Himalayas मेरे नगपति! मेरे विशाल!

Ramdhari Singh Dinkar Old Classic Poem about Himalayas मेरे नगपति! मेरे विशाल!

Here is excerpt from an old classic from Dinkar, exhorting Himalaya the great snow-covered king of mountains (Nagpati), that stands tall and eternally on the north of Indian subcontinent, to save India from its decline. The poem seems to have been written while India was under captivity of the English. मेरे नगपति! मेरे विशाल!: रामधारी सिंह दिनकर मेरे नगपति! मेरे विशाल! …

Read More »

कोयल: सुभद्रा कुमारी चौहान की हिंदी बाल-कविता

कोयल - सुभद्रा कुमारी चौहान

Here is an old classic poem that many of us have read in childhood. Poetess is the Late and Great Subhadra Kumari Chauhan. Many of her other very famous poems like “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी“ कोयल: सुभद्रा कुमारी चौहान देखो कोयल काली है, पर मीठी है इसकी बोली। इसने ही तो कूक-कूक कर आमों में …

Read More »