आई अब की साल दिवाली: कैफ़ी आज़मी (असली नाम: अख्तर हुसैन रिजवी) उर्दू के एक अज़ीम शायर थे। उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए भी कई प्रसिद्ध गीत व ग़ज़लें भी लिखीं, जिनमें देशभक्ति का अमर गीत – “कर चले हम फिदा, जान-ओ-तन साथियों” भी शामिल है। कैफी का असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था। उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जिले के छोटे …
Read More »जलियाँवाला बाग में बसंत: सुभद्रा कुमारी चौहान
जलियाँवाला बाग में बसंत: सुभद्रा कुमारी चौहान – Jallianwala Bagh (जलियाँवाला बाग) is a public garden in Amritsar, and houses a memorial of national importance, established in 1951 by the Government of India, to commemorate the massacre of peaceful celebrators including unarmed women and children by British occupying forces, on the occasion of the Punjabi New Year (Baisakhi) on 13 …
Read More »ठुकरा दो या प्यार करो: सुभद्रा कुमारी चौहान
देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं। धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं मुक्तामणि बहुमुल्य वस्तुऐं लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं। ठुकरा दो या प्यार करो: सुभद्रा कुमारी चौहान मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लाई फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा …
Read More »सिपाही: वीर जवानों की शहादत पर भावुक कर देने वाली कविता
अजय देवगन ने ‘मनोज मुंतशिर’ की नई कविता में बयां किया वीर जवानों की शहादत की भावुक कर देने वाली कहानी बॉलीवुड में अपने दमदार अभिनय का लोहा मनवाने वाले एक्टर अजय देवगन इंडस्ट्री के जाने माने एक्टर हैं। अजय ने अपने करियर में अबतक कई तरह के रोल को पर्दे पर जिया है। अजय न सिर्फ एक अच्छे एक्टर …
Read More »कुँआरी मुट्ठी: कन्हैया लाल सेठिया वीर रस कविता
War has an important role in Nation building. A nation that has not experienced war becomes weaker. War ensures peace. This is the perspective on war provided by the well-known poet Kanhaiyalal Sethia. कुँआरी मुट्ठी: कन्हैया लाल सेठिया युद्ध नहीं है नाश मात्र ही युद्ध स्वयं निर्माता है, लड़ा न जिस ने युद्ध राष्ट्र वह कच्चा ही रह जाता है, …
Read More »विजयी के सदृश जियो रे: रामधारी सिंह दिनकर
World is run by people who live a life full of actions. Geeta teaches Karma-yoga to us. The same thought prevails in this poem by Dinkar. It is one of those poems that fill us with enthusiasm and a will to achieve some thing in life. Only Ramdhari Singh Dinkar can exhort like this. A lovely poem indeed. दिनकर जी …
Read More »गोरा बादल: पंडित नरेंद्र मिश्र की वीर रस हिंदी कविता
दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी। जिसके कारन मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी।। रावल रत्न सिंह को छल से कैद किया खिलजी ने काल गई मित्रों से मिलकर दाग किया खिलजी ने खिलजी का चित्तोड़ दुर्ग में एक संदेशा आया जिसको सुनकर शक्ति शौर्य पर फिर अँधियारा छाया दस दिन के भीतर न पद्मिनी का डोला यदि आया …
Read More »मानवता और धर्मयुद्ध (रश्मिरथी): रामधारी सिंह दिनकर
Here is a gem taken from the all-time classic “Rashmirathi”. Dinkar Ji abhors the animal instincts that linger just under the surface of humanity. He abhors the glorification of war by the society. No right thinking human being would want the death and destruction that invariably occurs in a war, but still at times war gets all out support from societies. …
Read More »वीरों का कैसा हो वसंत: सुभद्रा कुमारी चौहान की वीर रस हिंदी कविता
Here is an old classic poem by Subhadra Kumari Chauhan, who also wrote the evergreen poem – Jhansi Ki Rani. Her writing career unfortunately came to an early end as she died at the age of 42, in a road accident. That happened before the country attained freedom. That explains the last stanza of this poem where she says that …
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