Here is excerpt from a famous poem of Mahadevi Verma. Love takes root in the heart and suddenly the world looks so different! कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे लोचनों में घुमड़ घिर झरता अपरिचित? स्वर्ण सपनों का चितेरा नींद के सूने निलय में! कौन तुम मेरे हृदय में? अनुसरण निःश्वास मेरे कर रहे किसका निरंतर? …
Read More »दीप मेरे जल अकम्पित (दीप शिखा): महादेवी वर्मा
Here is another famous poem by Mahadevi Ji. I love the first lines “clouds are the breath of ocean and lightening the restless thoughts of darkness”. दीप मेरे जल अकम्पित, घुल अचंचल। सिन्धु का उच्छवास घन है, तड़ित, तम का विकल मन है, भीति क्या नभ है व्यथा का आँसुओं से सिक्त अंचल। स्वर-प्रकम्पित कर दिशायें, मीड़, सब भू की …
Read More »अधिकार: महादेवी वर्मा की प्रेरणादायक हिंदी कविता
Those who strive to tirelessly work for others may perish, but here Mahadevi Verma states that she would rather prefer that suffering than become immortal by the grace of God. Be careful to pause at commas to get the true meanings of lines. वे मुस्काते फूल, नही जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप, नही जिनको भाता ह बुझ …
Read More »Jagjit Singh Bhajan about Lord Rama हे राम हे राम
हे राम हे राम हे राम हे राम तू ही माता तू ही पिता है तू ही तो राधा का श्याम हे राम हे राम हे राम हे राम तू अंतर्यामी सबका स्वामी तेरे चरणों में चारो धाम हे राम हे राम हे राम हे राम तू ही बिगाडे तू ही सवारैं इस जग के सारे काम हे राम हे …
Read More »बोलो राम जय जय राम: जगजीत सिंह (भगवान राम भजन Video)
बोलो राम जय जय राम, जन्म सफल होगा बन्दे, मन में राम बसा ले, हे राम नाम के मोती को, सांसो की माला बना ले, राम पतित पवन करुनाकर, और सदा सुख दाता, सरस सुहावन अति मनभावन, राम से प्रीत लगा ले, मन में राम बसा ले, मोह माया है झूटा बन्धन, त्याग उसे तू प्राणी, राम नाम की ज्योत …
Read More »देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ: राम अवतार त्यागी
रामावतार त्यागी का जन्म 17 मार्च 1925 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले की संभल तहसील में हुआ। आप दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर थे। हिन्दी गीत को एक नई ऊँचाई देने वालों में आपका नाम अग्रणीय है। रामधारी सिंह दिनकर सहित बहुत से हिंदी साहित्यकारों ने आपके गीतों की सराहना की थी। ‘नया ख़ून’; ‘मैं दिल्ली हूँ’; ‘आठवाँ स्वर’; ‘गीत …
Read More »हर घट से: चिंतन पर नीरज की प्रेरणादायक हिंदी कविता
This is a famous poem of Niraj. One has to be selective in life, put in sustained efforts and be patient in order to succeed. हर घट से: गोपाल दास नीरज हर घट से अपनी प्यास बुझा मत ओ प्यासे! प्याला बदले तो मधु ही विष बन जाता है! हैं बरन बरन के फूल धूल की बगिया में लेकिन सब ही …
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