जगन्नाथ मंदिर की रक्षा के लिए बेड़ी माधव मंदिर में जंजीरों में बंधे हैं ‘महाबलशाली हनुमान जी’
ओडिशा के पुरी में हर साल निकलने वाली रथयात्रा जितनी प्रसिद्ध है, उससे भी कहीं अधिक रोचक है यहां के श्री मंदिर का इतिहास और उसमें भगवान जगन्नाथ के विराजने की कथा।
पुरी का यह क्षेत्र पुराणों में सप्त पुरियों में से एक है, जिसे स्कंद पुराण में पुरुषोत्तम क्षेत्र, धरती का बैकुंठ तीर्थ और श्रीकृष्ण के शरीर के नील मेघश्याम रंग के कारण नीलांचल कहा जाता है। माना जाता है कि जगन्नाथ भगवान स्वयं ही श्रीकृष्ण हैं।
बेड़ी हनुमान मंदिर, पुरी, ओडिशा
जगन्नाथ मंदिर में पूर्व दिशा की ओर जिधर समुद्र है, वहां आंजनेय मंदिर बना हुआ है। इन्हें बेड़ी वाले हनुमान जी और श्रीकृष्ण के ही नाम पर बेड़ी माधव भी कहते हैं। जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालु बेड़ी हनुमान के दर्शन भी जरूर करते हैं। हनुमान जी की स्थापना से ही पुरी मंदिर का निर्माण पूरा हो सका था।
Name: | बेड़ी हनुमान मंदिर, पुरी, ओडिशा [Daria Mahavir (Bedi Hanuman) / Chained Hanuman] |
Location: | Chakra Tirtha Road, Near Bedi Hanuman, Puri, Odisha 752002 India |
Affiliation: | Hinduism |
Diety: | Lord Hanuman |
Celebration: | – |
Type: | – |
The creator: | राजा इंद्रद्युमन |
बेड़ी हनुमान मंदिर बहुत प्राचीन है। इसकी स्थापना राजा इंद्रद्युमन ने करवाई थी।
मंदिर में हनुमान जी बेड़ियों में बंधे हैं। ‘बेड़ी हनुमान‘ का शाब्दिक अर्थ है ‘जंजीर वाले हनुमान‘ और इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इस मंदिर को दरिया महावीर मंदिर भी कहा जाता है, जहां दरिया का अर्थ समुंदर और महावीर का अर्थ भगवान हनुमान है।
मान्यता हैं की जगन्नाथ पूरी को समुंदर के प्रकोप से बचाना हनुमान जी का कर्तव्य है।
मान्यताओं के अनुसार, समुद्र ने भगवान जगन्नाथ के मंदिर को तीन बार नुकसान पहुंचाया था। तो एक बार जब जगन्नाथ मंदिर का निर्माण हुआ, तो समुद्र के देवता वरुण, भगवान जगत्राथ जी के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश कर गए और पीछे-पीछे समुद्र का पानी शहर में घुस गया, जिससे मंदिर को काफी नुकसान हुआ।
इसके बाद भक्तों ने भगवान जगत्राथ से प्रार्थना की और कहा कि इस बात का हल निकालें।
फिर भगवान जगन्नाथ जी ने दाना हनुमान जी से यह पूछ कि उनको की उपस्थिति में समुद्र का जल शहर में कैसे प्रवेश कर गया। हनुमान जी ने बताया कि वह उस समय वहां मौजूद नहीं थे और उन्हें बिना बताए ही अयोध्या चले गए थे।
हनुमान जी को अयोध्या की यात्रा के बारे में सुनकर भगवान जगन्नाथ जी ने उनके हाथ और पैर बेड़ी से बंधवा दिए और उन्हें दिन-रात समुद्र तट पर सतर्क रहने और जगन्नाथ पुरी की रक्षा करने को कहा।
चूंकि, उनके हाथ और पैर बंधे थे, इसलिए उन्हें बेड़ी हनुमान या जंजीर वाले हनुमान के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर का सुंदर वास्तुकला
पूर्व दिशा को ओर मुख वाले इस मंदिर की वास्तुकला बेहद अनोखी है। मंदिर में दो भुजाओं वाले हनुमान है, जिसके बाएं हाथ में लड्डू और दाहिने हाथ में गदा है।
मंदिर कौ बाहरी दीवारों पर विभिन्न देवताओं की मूर्तियां देखी जा सकती हैं। दक्षिणी दीवार पर भगवान गणेश की एक छवि है तो इसको पश्चिमी दीवार पर अंजना देवी (हनुमान जी की मां) को एक छवि है, जिनको गोद में एक बच्चा है और उत्तरी दीवार पर, अन्य विभिन्न देवी-देवताओं की छवियां बनी हैं।
How to Reach:
By Road:
- All state and local buses are available to reach the temple. But, the Puri bus stop is the nearest bus stop which is a 3 km distance from the temple.
By Rail:
- Puri Railway Station is 1.30 km from the Bedi Hanuman Temple and is the nearest railway station.
By Air:
- Biju Patnaik International Airport is the nearest airport to the temple, 60 km away.