अकाल मृत्यु से बचाए बरगद का पेड़

अकाल मृत्यु से बचाए बरगद का पेड़

केवल वृक्ष हमें बचा सकते हैं लेकिन हम तो पेड़ काट कर बेच डालने के विशेषज्ञ हैं। कभी सड़क चौड़ी करने के नाम पर, कभी बांध बनाने के नाम पर, कभी बिजली की लाइन निकालने के नाम पर, कभी स्कूल-अस्पताल बनाने के नाम पर कितने पेड़ काट कर खा गए कोई हिसाब नहीं, नए पेड़ लगवाने के नाम पर बस रिकार्ड बुक में नाम छपवाने में माहिर हैं हम।

गत पांच साल का ही लेखा-जोखा कर लें, कितने पेड़ लगे, कितने बाकी हैं? कितने पुराने पेड़ काट कर खा गए। राजमार्ग बनाने के नाम पर वन संपदा कितनी नष्ट कर दी हमने? कोई हिसाब नहीं हो सकता। धरती तो गर्म होगी ही। नाश भी होगा। तमाम पशु-पक्षी कीट सब समाप्त हो जाएंगे।

प्रकृति ने हमें सतत प्राणवायु प्रदान करने के लिए बरगद, पीपल आदि वृक्ष दिए। बरगद, पीपल को हिंदू आचार्यों ने धर्म से जोड़ दिया तो पाखड़ को इस्लामिक विद्वानों ने। कब्रिस्तान में पाखड़ के वृक्ष लगाने का प्रचलन हो गया। प्रकृति की अमूल्य संपदा सुरक्षित हो गई। पीपल तो किसी भी वृक्ष में अंकुरित होकर बड़ा हो जाता है, धरती तक जड़ें पहुंच जाती हैं आसानी से। बरगद इतनी आसानी से न तो उगता है, न ही बड़ा होता है। पीपल तो कहीं भी नाले के किनारे-दीवारों पर, छत पर  उग जाता है।

बरगद के नीचे भगवान बुद्ध ने साधना की, ज्ञान प्राप्त किया, तमाम जैन तीर्थंकरों ने बरगद के नीचे ही साधना की। कितने ही सूफियों संतों ने पीपल बरगद के नीचे ही साधना की, कितनी ही मजारें आज भी बरगद के नीचे ही पाई जाती हैं।

बरगद में औषधीय गुण भी बहुत हैं। इसके दूध से शारीरिक कमजोरी दूर होती है, नपुंसकता तक दूर हो जाती है। इसकी छाल के चूर्ण के सेवन से डायबिटीज ठीक हो जाती है। इसके पत्तों का तेल लगाकर गर्म करके बांध लेने से शरीर के किसी भी भाग की सूजन दूर हो जाती है।

बरगद के पूजन से अकाल मृत्यु की संभावना कम हो जाती है। ‘बढ़-मावस’ का त्यौहार इसका प्रमाण है। बरगद का वृक्ष लगाने मात्र से आप अकाल मृत्यु से बच सकते हैं। बरगद का वृक्ष लगाना आसान है। किसी भी नदी के तट पर, स्कूल के परिसर में, अस्पताल के परिसर में, मंदिर में, नहर के किनारे, श्मशान में कहीं भी लगाया जा सकता है। कलम लगाइए, कुछ दिन सुरक्षा कीजिए, पशुओं से बचाइए, बाकी काम प्रकृत्ति स्वयं कर लेगी। तीन महीने में नए पत्ते निकल आएंगे। फिर तो यह वृक्ष ही प्राणी मात्र को छाया देगा, प्राणवायु देगा, ऊष्मा को कम करेगा।

भारत की 125 करोड़ की आबादी में से अगर एक करोड़ व्यक्ति भी इस वर्ष एक-एक बरगद लगा लें तो एक करोड़ नए बरगद, इस पृथ्वी को विनाश से बचा लेंगे। सूर्य को तो हम रोक नहीं पाएंगे लेकिन धरती को गर्म होने से जरूर बचा लेंगे।

क्या आपने अपने जीवनकाल में कहीं भी कोई भी बरगद वृक्ष सूखा देखा है? सूरज की गर्मी में जला देखा है? नहीं देखा होगा। मानव की आयु से अधिक, बहुत अधिक आयु होती है बरगद की। बरगद लगाकर आप प्राणी मात्र की सहायता करते हैं। बरगद सेवा से आप अकाल मृत्यु से बचते हैं।

बरगद की कलम खुले स्थान पर लगाएं और घर के अंदर बरगद की बोनसाई बनाकर घर को सुंदर बनाएं। बोनसाई नहीं भी बना सकते तो गमले में लगाकर घर में रखें। घर का वातावरण शुद्ध रहेगा। घर के बरगद का पूजन भी कीजिए। बरगद को अभिमंत्रित कर दीजिए महामृत्युंजय से, गायत्री मंत्र से, रामरक्षा स्रोत से, शिव कवच से, दुर्गा कवच से। अभिमंत्रित बरगद घर में लगाकर तो देखें, विनाश से बचे रहेंगे।

घर में एक नहीं, अनेक बरगद उगाइए, बोनसाई के रूप में, गमले में, पुराने कपों में, गिलासों में, छोटे से गमलों में, पुराने सुंदर प्लास्टिक के डिब्बों में लगाकर देखें। घर की सुंदरता बढ़ेगी, शुभ होगा। विवाह समारोह हो, वर्षगांठ हो, संतान का जन्म हो, या किसी का स्वर्गारोहण, उस पल को जीवंत बनाए रखें, बरगद का वृक्ष लगाकर।

~ स्वामी बिजनौरी

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