वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए बच्चों का कमरा और उनका स्डडी रूम / अध्ययन कक्ष / पढाई का कमरा कहां और कैसा होना चाहिए ताकी उनका मन पढ़ाई में लगा रहे और वे सभी अच्छे नंबरों से पास हो जाएं
- अध्ययन कक्ष हो सके तो भवन के पश्चिम या ईशान कोण में ही बनाना चाहिए पर भवन के नैत्रत्य व आग्नेय में कभी भी अध्ययन कक्ष नहीं बनाना चाहिए।
- विद्यार्थियों को पढ़ते समय मूंह पूर्व या उत्तर की ओर रख कर ही अध्ययन करना चाहिए।
- विद्यार्थियों को दरवाजे की तरफ पीठ करके कभी भी अध्ययन नहीं करना चाहिए।
- विद्यार्थियों को किसी बीम या परछत्ती के नीचे बैठकर पढ़ना या सोना नहीं चाहिए इससे मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
- विद्यार्थी चाहे तो अपने अध्ययन कक्ष में सो भी सकते हैं अर्थात कमरे को स्टडी कम बेडरुम बनाया जा सकता है।
- स्टडी रुम का दरवाजा ईशान, पूर्व, दक्षिण आग्नेय, पश्चिम वायव्य व उत्तर में होना चाहिए अर्थात् पूर्व आग्नेय, दक्षिण पश्चिम नैऋत्य, एवं उत्तर वायव्य में नही होना चाहिए। स्टडी रुम में यदि खिड़की हो तो पूर्व, पश्चिम या उत्तर की दीवार में ही होनी चाहिए। दक्षिण में नहीं।
- विद्यार्थियों को सदैव दक्षिण या पश्चिम की ओर सिर करके सोना चाहिए। दक्षिण में सिर करके सोने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, और पश्चिम में सिर करके सोने से पढ़ने की ललक बनी रहती है।
- अध्ययन कक्ष के ईशान कोण में अपने आराध्य देव की फोटो व पीने के पानी की व्यवस्था भी रख सकते है।
- किताबे स्टडी रुम में खुले रैक्स में न रखें। खुली किताबे नकारात्मक उर्जा उत्पन्न करती हैं इससे स्वास्थ्य भी खराब होता है।
- किताबों का रैक दक्षिण, पश्चिम में रखा जा सकता है पर नैत्रत्य व वायव्य में नही रखना चाहिये। क्योकि नैऋत्य के रॅक्स कि किताबे बच्चे निकाल कर कम पढ़ते है व वायव्य मे किताबे चोरी होने का भय रहता है।