- समतल भूमि: समतल भूमि सभी के लिए शुभ होती है- सर्वेषां चैवजनानां समभूमि शुभावता। इस प्रकार समतल भूमि आवास निर्माण के लिए सर्वथा लाभकारी भूमि है।
- गजपृष्ठ भूमि: जो भूमि दक्षिण नैऋृत्य (दक्षिणी-पश्चिमी कोण पर) पश्चिम या वायव्य (उत्तरी-पश्चिमी कोण पर) ऊंची हो वह गजपृष्ठ भूमि कहलाती है। इस भूमि पर बने भवन का निवासी धन-धान्य से युक्त, समृद्धिशाली, दीर्घायु व निरोगी होता है।
- कूर्मपृष्ठ भूमि: जो भूमि मध्य में ऊंची तथा चारों तरफ से नीची हो, ऐसे भूखंड को कूर्मपृष्ठ भूमि कहते हैं। कूर्मपृष्ठ भूखंड पर निर्मित भवन में वास करने वाले व्यक्ति को नित्य सुख की प्राप्ति होती है।
- दैत्यपृष्ठ भूमि: जो अग्निकोण तथा उत्तर दिशा में ऊंची व पश्चिमी दिशा में नीची हो उस भूमि को दैत्यपृष्ठ भूमि कहते हैं। यह भूमि शुभ नहीं मानी जाती। ऐसी भूमि पर निवास करने वाला व्यक्ति धन, पुत्र, पशु सहित सभी सुखों से वंचित रहता है। ऐसी भूमि यदि अल्प मूल्य में भी प्राप्त हो तो क्रय न करें।
- नागपृष्ठ भूमि: पूर्व-पश्चिम को लंबी, उत्तर-दक्षिण को ऊंची तथा बीच में कुछ नीची भूमि को नागपृष्ठ भूमि कहते हैं। इस पर आवास निर्मित करने से उच्चाटन होता है। इस प्रकार के भवन निर्माता को मृत्यु तुल्य कष्ट, पत्नी हानि, पुत्र हानि तथा प्रत्येक पग पर शत्रुओं का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार नागपृष्ठ भूमि निम्न कोटि की मानी जाती है।
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