यहां कोई कल्पना नहीं करनी है। जुड़ जाएं अपने भीतर से, अपने स्वरुप से, अपने आप से। अनुभव करे कि मैं शुद्ध-बुद्ध चैतन्य आत्मा हूं, यह शरीर मन व बुद्धि, मेरे आवरण हैं, मैं इनसे अलग हूं। कुछ देर यहां आराम करने के बाद अपने ध्यान को सांसों पर लाएं व लम्बा गहरा सांस भरें व निकालें, अब हाथों व पैरों की अंगुलियों में चेतना का अनुभव करें। धीरे-धीरे हाथों को उठाकर हथेलियों को आपस में रगड़ कर आंखों पर रख लें। कुछ देर आंखों पर रखने के बाद हथेलियां हटाकर करवट का सहारा लेते हुए धीरे से बैठ जाएं।
यह आसन तन-मन में ऊर्जा का संचार करने वाला है। शरीर, इंद्रियों, मन व प्राण की हलचल को दूर कर शांति देने वाला एक महत्त्वपूर्ण आसन है। यह ध्यान का एक तरीका है। शवासन जितना आसान लगता है, उतना होता नहीं है। सबसे सरल होते हुए भी सबसे कठिन आसन है, क्योंकि इस आसन में मन को अपने अनुसार शरीर के अंगों पर लाना होता है। लेकिन यदि इस आसन को सही प्रकार से कर लिया जाए, तो यह शरीर को कुछ ही मिनटों में घंटों की नींद के बराबर आराम दे देता है। तनाव, हाई बीपी, नींद न आना, जल्दबाजी, चिड़चिड़ापन, बेचैनी आदि मन-मष्तिष्क के रोग को दूर करने वाला है।