संस्कृत शब्द कर्ण का अर्थ होता है कान और आकर्ण का अर्थ कान के निकट। आकर्ण धनुरासन (Shooting Bow Posture) का अर्थ खींचे हुए धनुष और बाण के आकार का आसन।
जब कोई धनुष-बाण चलाता है तो उस अवस्था में बाण (तीर) के पीछे के हिस्से को कान तक खींचकर लाया जाता है। इस प्रत्यंचा चढ़ाकर रखने की स्थिति को ही आकर्ण धनुरासन कहा जाता है।
आसन लाभ:
कूल्हों और पैरों में लचीलेपन के लिए यह आसन महत्वपूर्ण है। इसके नियमित अभ्यास से हाथ-पैरों के जोड़ों के दर्द दूर होते हैं। इससे पेट, पीठ और छाती के रोग दूर होते हैं।
अवधि/दोहराव की स्थिति में सुविधानुसार 30 सेकंड से एक मिनट तक रहा जा सकता है। इसे दो से तीन बार किया जा सकता है।
आसन की विधि:
सबसे पहले दोनों पैरों को सटाकर सीधे सामने लंबा करके बैठ जाइए। इसे दंडासन की स्तिति कहते हैं। अब हाथों को कमर से सटाते हुए हथेलियां भूमि पर रखें। कमर, कंधा और सिर सीधा रखें। सामने देखें। गहरी श्वास लें।
फिर श्वास को छोड़ते हुए दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली से दाहिने पैर का अंगूठा पकड़े। बाएं हाथ की तर्जनी से बाएं पहर का अंगूठा पकड़े।
अब श्वास अंदर भरते हुए दाहिने पैर को दाहिने कान के पास धीरे से खींचकर लाएं। कुछ समय तक इसी स्थिति में रुककर पुनः दंडासन अर्थात पहली स्टेप में आ जाएं।
श्वास की गति को सामान्य बनाते हुए इसी तरह दूसरे पैर से इस आसन को करें। अर्थात पहले दाहिने पैर को कान तक खींच कर लाए थे अब बाएं पैर को कान तक लाएं।