- मांसपेशीय तनाव (Muscular Tension): यह तनाव शरीर की मांसपेशियों, स्नायुतंत्र, ग्रन्थियों व हड्डियों में रहते हुए शरीर में अम्ल, पित्त, अपच, गैस, कब्ज, मांसपेशियों तथा हड्डियों में दर्द होना आदि रोगों को जन्म देता है। युवाओं में मांसपेशीय तनाव काफी मात्रा में देखने को मिलता है, जिसका मुख्य कारण आज आधुनिक समय में उनकी बदली हुई जीवन-शैली है।
- मानसिक तनाव (Mental Stress): यह तनाव व्यक्ति के जीवन में घटने वाली घटनाओं के प्रति होने वाले नकारात्मक विचारों का परिणाम है। जब नकरात्मक विचारों की परतें लम्बे समय तक मनः पटल पर संचित होती रहती हैं तो भविष्य में किसी घटना पर वह असामान्य व्यवहार करने लगता है, जैसे क्रोध करना, दु:खी होना, झगड़ा करना, उत्तेजित होना व दूसरों पर शारीरिक प्रहार करना आदि ये सब मानसिक तनाव के परिणाम हैं। इस तनाव से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अधरंग मूर्छा, ब्रेन हेमरेज व अनिद्रा जैसे रोग शरीर में आने लगते हैं। युवाओं मानसिक तनाव सबसे अधिक देखने को मिलता है, जिसके मुख्य कारण, पढाई का दबाव, भविष्य को लेकर चिन्ता व प्रतिस्पर्धा अर्थात् एक दूसरे से आगे बढने की होड़ आदि हैं।
- भावनात्मक तनाव (Emotional Stress): युवाओं में यह तनाव उनकी इच्छाएं पूरी न होने पर होता है। जब युवा अपनी भावनाओं का दमन करते हैं या वे अपने द्वारा निर्धारित जीवन के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाते तो उनकी दमित इच्छाओं के कारण उनके भीतर जो तनाव पैदा होता है, उसे भावनात्मक तनाव कहते हैं। इसके तनाव से अवसाद, दूसरों से घृणा होना, भयभीत रहना, चुप रहना, खुश न रहना तथा किसी से बात न करना आदि दोष शरीर में आने लगते हैं।
भावनात्मक तनाव अवसाद (Depression) का सबसे बड़ा कारण है। इस अवस्था में व्यक्ति नकारात्मक विचारों (Negative thoughts) में इतना उलझ जाता है कि वह प्रत्येक ही कार्य के लिए अपने आपको मानसिक रूप में दोषी मानने लगता है। कई बार वह भावनात्मक तनाव से बनने वाले अवसाद के कारण अपने जीवन को ही समाप्त करने का निर्णय ले बैठता है।
युवाओं में तनाव व अवसाद के कारण:
- शारीरिक व्यायाम न करना।
- समय का सदुपयोग न करना अर्थात् अधिकांश समय टी.वी, मोबाइल या इंटरनैट आदि पर बरबाद करना, जिससे उनके अनिवार्य कार्य समय पर न होना।
- सुपाच्य भोजन ग्रहण न करने से शारीरिक न मानसिक शक्ति कमजोर होना।
- प्रतिस्पर्धा अधिक होना।
- माता-पिता द्वारा बच्चों को उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा रखना।
- रोजगार के अवसर कम होना।
- सरकार की शिक्षा नीति ठीक न होना तथा युवाओं के लिए शिक्षा के अवसर आवश्यकता के अनुसार न होना।
- नैतिक शिक्षा का अभाव होना आदि।
जिस दुनिया में आज हम रहते हैं, वह आज प्रतिस्पर्धा और जटिलताओं से भरी है। एक वक्त तथा कि 50 से 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थीयों को कॉलेज में आसानी से प्रवेश मिल जाता था। आज युवाओं को 90 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद भी अपनी इच्छा के कॉलेज में प्रवेश नहीं मिल पाता है। जहाँ कभी सिविल सेवा परीक्षा केवल 30,000 से 40,000 व्यक्ति ही देते थे, आज यह परीक्षा देने वालों की संख्या कई लाखों में हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन परिस्थितियों का सामना करने वालों को कितने तनाव से गुजरना पड़ता होगा। मनोचिकित्सक डॉ. अवधेश शर्मा के अनुसार, किशोरावस्था में बीमारी व विकलांगता का तीसरा प्रमुख कारण अवसाद है। इसी प्रकार किशोरों द्वारा की जाने वाली आत्महत्या का अवसाद एक बहुत बड़ा कारण है।
तनाव व अवसाद के यौगिक उपचार:
जीवन में नियमित योगाभ्यास, सुपाच्य भोजन, आत्म-चिन्तन व अन्य सुझावों को अपनाकर इस रोग से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
आसन व प्राणायाम:
प्रतिदिन यदि आसनों का नियमित अभ्यास किया जाए तो इससे मांसपेशीय तनाव ठीक होने लगता है। शरीर का पाचन, निष्कासन व अन्य प्राणालियों के सक्रिय होने पर शरीर की मांसपेशियों, ग्रन्थियों व अन्य अवयवों में होने वाला तनाव होता है। जब प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से किया जाता है तो श्वास गहरे-लम्बे, अनुपातिक, लयबद्ध व सूक्ष्म होने पर उनका मन शान्त होने लगता है, जिससे मानसिक तनाव ठीक होता है।
योगनिद्रा व ध्यान:
युवा अपने भविष्य को लेकर अधिक असुरक्षित व भयभीत रहता है, जो उनके तनाव का मुख्य कारण है। जब ध्यान व योग निंद्रा का अभ्यास किया जाता है, जब चित्त पर उठने वाले विचारों के बवंडर तथा राग-द्वेष की तरंगे शान्त होने लगती हैं तथा सोच सकारात्मक बनने लगती है, जिससे मानसिक व भावनात्मक तनाव खत्म होता है।
आत्म-चिन्तन:
युवाओं को सुझाव दिया जाता है कि पढाई व अपने अन्य कार्यों को समय पर पूरा करें, अपनी कमियों को खत्म करने तथा समय प्रबन्धन व अपनी दिनचर्या आदि को सुव्यवस्थित करने के लिए रात्रि में सोने से पहले लगभग 10 मिनट का आत्म-चिन्तन करें। इस अभ्यास के दौरान अपने पूरे दिन के क्रिया-कलापों का मानसिक विश्लेषण करें। जहाँ-जहाँ दिन में गलतियां की हैं, उन्हें न दोहराने का संकल्प करें। ऐसा करने पर धीरे-धीरे न्यूनताएं खत्म होती जाएंगी। सोच सकारात्मक होगी। आत्मविश्वास बढ़ेगा। दिनचर्या व समय प्रबन्धन ठीक होगा। इससे अपने लक्ष्य को पाना आसान होगा तथा अंतःकरण तक मार करने वाले भावनात्मक तनाव को ठीक करने में सहायता मिलेगी।
भोजन:
तनाव व अवसाद के रोगी को अंकुरित अनाज, रात्रि में भीगे हुए 7-8 बादाम व 10-12 किशमिश का प्रातः सेवन करना चाहिए। मौसम का फल, सलाद व हरी सब्जियों का सेवन करने से शरीर व मन को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे तनाव व अवसाद से शरीर में आने वाले दोषों से मुक्त होने की क्षमता बढती है।
अन्य सुझाव:
- अच्छा साहित्य पढ़ें
- सकारात्मक सोच रखें
- परिस्थितियों को अनुकूल बनाएं
- दिनचर्या को सुव्यवस्थित करें।
मोबाइल, टेलिविजन व इंटरनैट पर समय को बर्बाद न करके उसे अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए सदुपयोग करें। अच्छे दोस्तों से दोस्ती करें। माता-पिता बच्चों पर अनावश्यक दबाव न बनाकर उन्हें सकारात्मक विचार दें। नींद पूरी लें। प्रतिदिन रात्रि में सिर पर बादाम के तेल की मालिश करें तथा दो-दो बूंदें नासिका में भी डालें।
जब प्रतिदिन सुपाच्य भोजन लेंगे, नियमित योगाभ्यास करेंगे, अच्छा संग रखेंगे, समय प्रबन्धन व दिनचर्या ठीक होगी तो इनसे एकाग्रता व आत्मविश्वास बढ़ेगा तथा तनाव व अवसाद खत्म होगा ओर जीवन में निर्धारित लक्ष्य को पाना भी आसान हो जाएगा।
नोट: गर्मियों की छुट्टियों में अर्थात् अप्रैल, मई और जून के महीनों में भारतीय योग संस्थान द्वारा पूरे देश भर में युवाओं के लिए संस्कार निर्माण योग शिविर लगाएं जाते हैं। हमारा युवाओं से निवेदन है कि सभी युवा इन शिविरों में जा कर तनाव अवसाद से मुक्ति पाने का मार्ग सीखते हुए अपने जीवन को सफल व निरोग बनाने का कला सीखें।
Bharatiya Yog Sansthan: Near Mangalam Place, Sector 3, Rohini, New Delhi, 110085 फ़ोन: 011 2794 3421