उत्कटासन में बैठना, सुनने में आसान व् आरामदायक लगता है,लेकिन किसी काल्पनिक कुर्सी पर बैठना थोडा चुनोतिपूर्ण हो सकता है और बिल्कुल यही हम उत्कटासन में करते हैं।
उत्कटासन का शाब्दिक अर्थ है – तीव्र मुद्रा या शक्तिशाली मुद्रा।
उत्कटासन में ज्यादा देर तक रुकने के लिए आपको थोड़ी दृढ़ता दिखानी होगी! उत्कटासन करने से पूर्व इसके अंतर्विरोध पढ़ना जरूर सुनिश्चित करें।
उत्कटासन करने की प्रक्रिया:
- दोनों पैरों के बीच थोडा फासला रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ।
- हाथों को सामने की ओर फैलाते हुए हथेली ज़मीन की ओर, कुहनियां सीधी रहे। घुटनो को मोड़ते हुए धीरे से श्रोणि को नीचे लाएँ जैसे कि आप एक काल्पनिक कुर्सी पर बैठे हैं।
- इसी स्थिति में बने रहें। उत्कटासन में अच्छा महसूस करने के लिए कल्पना करें कि बैठे बैठे आप अखबार पढ़ रहे हैं या लैपटॉप पर टाइपिंग कर रहे हैं।
- ध्यान रहे की आपके हाथ जमीन के समानांतर हों।
- सजगता के साथ रीढ़ की हड्डी को खींचते हुए सीधा बैठें, विश्राम करें।
- साँस लेते रहें और अखबार के पन्नें पलटते हुए राष्ट्रीय व् अन्तर्राष्टीय खबरों का आनंद लें।
- धीरे धीरे कुर्सी में और नीचे बैठे लेकिन ध्यान रहे कि आपके घुटने आपकी उँगलियों से आगे न जाएँ।
- धीरे धीरे नीचे जाते रहें और फिर सुखासन में बैठ जाएँ। अगर आप चाहे तो पीठ के बल लेट सकते हैं, और विश्राम कर सकते हैं।
योग विशेषज्ञ द्वारा हिदायत: मुस्कुराते हुए यह आसान करें, इससे आसन में बने रहना आसान रहेगा। खड़े होकर किये जाने वाले सभी आसनों के बाद (तदोपरांत) कुर्सी आसन करना एक उत्तम विचार है। फिर आप (उसके पश्चात) बैठकर किये जाने वाले आसन या लेटकर किये जाने वाले आसन कर सकते हैं।
उत्कटासन के लाभ:
- रीढ़ की हड्डी,कूल्हों एवं छाती की मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है।
- पीठ के निचले हिस्से को मज़बूती प्रदान करता है।
- जांघो, एड़ी,पैर व् घुटनो की मांसपेशियों को ताकत मिलती है।
- शरीर में संतुलन व् मन में दृढ़ता आती है।
अंतर्विरोध: Contraindications
- घुटने के पुराने दर्द, गठिया, एड़ी की मोच अन्य घुटनो की समस्या और स्नायुओं की क्षति; सिर दर्द, अनिद्रा की अवस्था में कुर्सी आसन का अभ्यास ना करें।
- कमर के निचले हिस्से में दर्द या मासिक धर्म के दौरान विशेष ध्यान रखें और बहुत धीरे धीरे यह आसन करे।
दूसरी विधि: Second Method
इस आसन के अभ्यास के लिए पहले की तरह ही सीधे सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाकर सीधा करके रखें। फिर धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ते हुए एड़ी को उठाकर पंजों के बल बैठ जाएं। इस स्थिति में 1 मिनट तक रहें। फिर हाथ की स्थिति पहले की तरह आगे की ओर रखते हुए धीरे-धीरे एड़ियों को टिकाते हुए उठकर खड़े हो जाएं। इस तरह से इस क्रिया को 5 से 10 बार करें।
दूसरी विधि से रोगो में लाभ:
यह आसन स्त्रियों के लिए विशेष लाभकारी है। इसके अभ्यास से अपच (भोजन का न पचना), अरुचि (भोजन करने की इच्छा न होना), अफारा (गैस का बनना), कब्ज एवं पेट आदि के सभी रोग दूर होते हैं। इससे पेट का मोटापा घटता है तथा रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। इस आसन को करने से गठिया, साईटिका आदि पैरों की बीमारी दूर हो जाती है। हाथ-पैरों में चुस्ती व शरीर को स्फूर्ति मिलती है। यह भूख को बढ़ाता है तथा पैरों को शक्तिशाली बनाता है, जिससे अधिक चलने से होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।